Bokaro news : राधेश्याम सिंह, तलगड़िया. चास के बिजुलिया पंचायत तिवारीडीह गांव का काली मंदिर आस्था व श्रद्धा का केंद्र है. यहां पूजा का इतिहास 275 साल का है. स्वर्गीय जगरनाथ तिवारी और प्रयाग तिवारी ने पुत्र प्राप्ति के लिए सिंदूरपेटी पाठक टोला काली मंदिर से विधि पूर्वक मां काली को लाकर स्थापना की थी. जानकार बताते हैं कि जगरनाथ तिवारी और प्रयाग तिवारी ने मिट्टी की दीवार बना कर पलाश व बांस से छावनी कर झोंपड़ीनुमा मंदिर बनाया था. उसके बाद प्रयाग तिवारी को पुत्र प्राप्ति हुई. यह 10वीं पीढ़ी चल रही है. बताया जाता है कि उस समय क्षेत्र में कालरा, चेचक का प्रकोप भी चल रहा था. तिवारीडीह और आसपास के गांव के लोगों ने झोंपड़ीनुमा मंदिर में मां काली की पूजा-अर्चना शुरू की तो लोगों को शांति मिली. उस समय से आज तक स्व. तिवारी के वंशज पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं. मंदिर में अमावस्या, मंगलवार, शनिवार को विशेष पूजा होती है. यहां पूजा के लिए झारखंड ही नहीं, बिहार व बंगाल से भी श्रद्धालु सालों भर आते हैं. मन्नत पूरी होने पर धूमधाम से चढ़ावा चढ़ाते हैं. बकरे की बलि भी देते हैं. तिवारी परिवार ने पत्थर और ईंट से मंदिर निर्माण शुरू किया, लेकिन अधूरा रहा. 1966 के आसपास डीवीसी के इंजीनियर मदन सिंह एवं उनके चालक दीनानाथ सिंह ने मन्नत पूरी होने पर मंदिर की ढलाई में सहयोग किया, 1974 में मां छिन्नमस्तिका का मंदिर में आर्विभाव हुआ2010 के आसपास को-ऑपरेटिव बैंक बोकारो के प्रबंधक यादव जी ने मन्नत पूरी होने पर मंदिर की चहारदीवारी का निर्माण और सौंदर्यीकरण कराया. काली मंदिर के बगल में हरि मंदिर व बजरंगबली मंदिर भी है. काली पूजा की तैयारी को लेकर स्वर्गीय तिवारी के वंशजों के अलावा मुरलीडीह फुटलाही सिंदूर पेटी के लोग जुटे हुए. रविवार को विधिवत पूजा शुरू हो गयी है. मंगलवार को पाठक बांध में मूर्ति का विसर्जन किया जायेगा. विसर्जन में सिंदूर खेल का महत्व है. इसमें महिला हर्षोल्लास के साथ शामिल होती हैं.
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