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Bokaro News : फुसरो में जमीन के पेच में फंसा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट

Bokaro News : फुसरो नगर परिषद की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का निर्माण कार्य भूमि के पेच में एक साल से फंसा हुआ है.

आकाश कर्मकार, फुसरो, फुसरो नगर परिषद की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का निर्माण कार्य भूमि के पेच में एक साल से फंसा हुआ है. 15 नवंबर 2019 में योजना का ऑनलाइन शिलान्यास मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया था. मकोली में एसबीआइ शाखा के पीछे लगभग आठ एकड़ भूमि पर 3.50 करोड़ रुपये की लागत से प्लांट का निर्माण होना है. इस कार्य करने वाली एजेंसी फुसरो वेस्ट मैनेजमेंट की ओर से प्लांट निर्माण के लिए एक वर्ष पूर्व चहारदीवारी का निर्माण किया जा चुका है. इसके बाद उक्त जमीन को वन विभाग ने अपना बताते हुए कार्य बंद करा दिया है. निर्माण कार्य चालू कराने की दिशा में नगर परिषद प्रयासरत है, लेकिन अभी तक वन विभाग से स्वीकृति नहीं मिल पायी है.

राज्य शहरी विकास अभिकरण के निदेशक ने डीएफओ से की थी बात

राज्य शहरी विकास अभिकरण झारखंड के निदेशक रहे अमित कुमार ने दस मार्च को योजना स्थल का निरीक्षण किया था. नप के अधिकारियों ने बताया था कि यह जमीन सीसीएल से प्राप्त है. लेकिन वन विभाग दावा किया है. वन विभाग जमीन सर्वे का कार्य कर रहा है. मामले को लेकर निदेशक ने बोकारो डीएफओ से फोन पर बात की थी. उन्होंने कहा था कि विकास कार्य को बंद करा कर जांच या बात नहीं किया जाना चाहिए. किसी भी योजना के कार्यों में सहयोग की जवाबदेही डीएफओ की भी रहती है. इसलिए पुन: स्थल का जांच कर अड़चन को दूर करें.

फिलहाल गोल पहाड़ी में कचड़ा हो रहा है डंप

फुसरो नगर परिषद के अधीन कार्यरत एजेंसी फुसरो वेस्ट मैनेजमेंट तीन सालों से वार्डों में डोर टू डोर कचड़ा उठाव का कार्य कर रही है. इसके लिए नप की ओर से एजेंसी को वाहन सहित अन्य संसाधन उपलब्ध कराया गया है. एजेंसी के अधीन 76 कर्मचारी कार्यरत हैं. फिलहाल एजेंसी द्वारा गोल पहाड़ी में कचड़ा डंप किया जा रहा है और यह स्थल फुसरो नप से मिला है. फुसरो के रानीबाग में प्राइवेट कांटा में कचड़ा का वजन होता है.

15 मई 2018 को सीसीएल से नप को मिली थी 40.78 एकड़ जमीन

जानकारी के अनुसार फुसरो नगर परिषद को 22 योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए 15 मई 2018 को सीसीएल से एमओयू के माध्यम से 40.78 एकड़ जमीन मिली थी. इसमें मकोली में आठ एकड़ जमीन भी शामिल थी. लेकिन वन विभाग का कहना है कि यह जमीन सीसीएल को माइनिंग के लिए दी गयी थी. दूसरी योजनाओं के लिए पुन: वन विभाग से अनुमति ली जानी चाहिए.

री-डायवर्जन के लिए की गयी है प्रक्रिया : राजीव रंजन

फुसरो नप के प्रशासक राजीव रंजन ने कहा कि योजना बदल जाने के कारण वन विभाग से री-डायवर्जन करवाना है. इसके लिए डीएफओ के पास प्रक्रिया की गयी है. सेंट्रल गवर्नमेंट से जुड़ा मामला है, इसलिए थोड़ा विलंब होगा. री-डायवर्जन होने के बाद बाकी प्रक्रिया को पूरा करते हुए प्लांट का निर्माण कार्य शुरू कराया जायेगा.

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