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Bokaro News : सीसीएल की बोकारो कोलियरी डिस्पेंसरी बदहाल

Bokaro News : सीसीएल के बीएंडके प्रक्षेत्र में बोकारो कोलियरी डिस्पेंसरी बदहाली के दौर से गुजर रही है.

सीसीएल के बीएंडके प्रक्षेत्र में बोकारो कोलियरी डिस्पेंसरी बदहाली के दौर से गुजर रही है. कभी एक दर्जन चिकित्सकों सहित बेहतर संसाधनों के साथ यह अस्पताल थी. अब डिस्पेंसरी हो गयी और फिलहाल मात्र एक चिकित्सक डॉ शंकर प्रसाद हैं. लगभग एक दशक पहले खासमहल में माइंस विस्तार के दौरान कृष्णा सुदर्शन सेंट्रल स्कूल को गांधीनगर स्थित बोकारो कोलियरी अस्पताल के भवन में शिफ्ट कर दिया गया. बाद में इस अस्पताल को बोकारो कोलियरी के पीओ बंगला में शिफ्ट कर डिस्पेंसरी बना दिया गया. उस वक्त अस्पताल की शिफ्टिंग का विरोध भी किया गया, पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. अस्पताल शिफ्टिंग व रंग-रोगन के नाम पर लाखों रुपये खर्च भी किये गये. कुछ साल पहले इस डिस्पेंसरी में दस बेड का नया भवन बनाया गया, जो अब बेकार पड़ा है. बोकारो कोलियरी डिस्पेंसरी में फिलहाल कांट्रैक्ट पर दो महिला नर्स तथा एक मेल नर्स हैं. एक फार्मासिस्ट है. ड्रेसर एक भी नहीं है. तीन स्वीपर तथा दो आया है. एक एंबुलेंस थी, जिसे अब बोकारो कोलियरी की डीडी माइंस में उपयोग में लायी जाती है. पहले डिस्पेंसरी तीन शिफ्ट में चलती था. अब सुबह 9.30 बजे से शाम पांच बजे तक ओपीडी चलता है. रात्रि सेवा बंद कर दी गयी. रात्रि में आपातकालीन मरीज को यहां से सात किमी दूर करगली क्षेत्रीय अस्पताल या ढोरी सेंट्रल अस्पताल जाना पड़ता है. करगली क्षेत्रीय अस्पताल में भी इलाज की कोई समुचित व्यवस्था नहीं रहने से मामूली बीमारी में भी मरीज को बोकारो या रांची रेफर कर दिया जाता है. पहले बोकारो कोलियरी अस्पताल में 60 बेड थे. बड़ा ऑपरेशन थिएटर के अलावा बड़ा जेनेरेटर, एक्स-रे की बड़ी मशीन थी. ब्लड व शुगर टेस्ट, इसीजी की सुविधा थी. स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी थे.

कोलियरी की कमाई करोड़ों में, लेकिन सेहत की फिक्र नहीं

वर्तमान में बीएंडके एरिया अंतर्गत एकेके परियोजना से रोजाना 20-25 हजार टन कोयले की ट्रांसपोर्टिंग हो रही है. कमाई करोड़ों में है, पर एकेके के अलावा इससे सटे बोकारो कोलियरी के कामगारों व ठेका मजदूरों को इलाज की बेहतर सुविधा मयस्सर नहीं है. करीब 50 हजार की आबादी वाला यह पूरा क्षेत्र सीसीएल के स्वास्थ्य लाभ से वंचित है.

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