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Bokaro News : डीआरएंडआरडी की बनायी जा रही रिवाइज्ड पीआर : सीएमडी

Bokaro News : डीआरएंडआरडी परियोजना से अब छोटे-छोटे पैच के बजाय वृहद पैमाने पर कोयला उत्पादन करने की योजना है.

राकेश वर्मा, बेरमो, डीआरएंडआरडी परियोजना से अब छोटे-छोटे पैच के बजाय वृहद पैमाने पर कोयला उत्पादन करने की योजना है. इसके लिए रिवाइज्ड पीआर बनायी जा रही है. यह बातें सीसीएल के सीएमडी निलेंदू कुमार सिंह ने शनिवार को करगली गेस्ट हाउस में प्रभात खबर से विशेष बातचीत में कही. कहा कि देश को आने वाले दिनों में कोकिंग कोल की काफी जरूरत है. वर्ष 2030-32 तक स्टील उत्पादन के लिए प्रतिवर्ष एक सौ मिलियन टन कोकिंग कोल की जरूरत पड़ेगी. इसके लिए मंत्रालय स्तर पर मिशन कोकिंग कोल प्लान बनाया गया है, ताकि विदेशों से होने वाले आयात को कम किया जा सके. पांच नई वाशरियां भी सीसीएल में आने जा रही हैं. इसमें से चार का टेंडर हो गया है. कथारा में नयी वाशरी का शिलान्यास एक माह में होगा.

हर हाल में पिछरी माइंस चालू होगी

सीएमडी ने कहा कि ढोरी एरिया की बंद पिछरी माइंस को खोलने के लिए कंपनी गंभीर है. जिला प्रशासन व सीसीएल की टीम ने मिलकर भूमि सत्यापन के लिए टेरी रजिस्टर बनाया है. इसे बेसिक रजिस्टर मान कर जमीन का सत्यापन कार्य शुरू होगा. इसमें भी चार-पांच माह लगेगा. हर हाल में पिछरी माइंस चालू होगी. कोयला चोरी रोकने के लिए आइ ट्रिपल सी कर रहा है फंक्शन : सीएमडी ने कहा कि कोयला चोरी रोकने के लिए सीसीएल सजग होकर काम कर रही है. छह माह पहले आइ ट्रिपल सी कंपनी के आठ एरिया में लॉच किया गया है, जो फंक्शनल है. शेष एरिया में भी जल्द शुरू हो जायेगा. आइटी इनिसिएटिव के तहत इसमें कैमरा, बुम बैरियर, आरए टैग और जीपीएस है. इसके अलावा खदान क्षेत्र के आसपास भी जागरूकता अभियान चलाया जायेगा. मौके पर बीएंडके एरिया के जीएम चितरंजन कुमार भी उपस्थित थे.

मॉनसून को लेकर तैयारी पूरी

कहा कि कंपनी ने मॉनसून को लेकर पूरी तैयारी कर रखी है. मोटर पंप की खरीदारी हो गयी है और पाइपलाइन की भी खरीदारी आधी हो गयी है. 20 जून तक सारी तैयारी पूरी हो जायेगी. सीसीएल ने फिलहाल 48 नये डंपर खरीदे हैं. विभागीय उत्पादन क्षमता को पूर्व की स्थिति में लाने का प्रयास कर रहे हैं. काफी संख्या में टायर की खरीदारी हुई है. फोग कैनन मशीन भी ली गयी है. अक्टूबर माह तक रोड स्विपिंग मशीन भी आ जायेगा.

बेरमो के तीन एरिया 19 मिलियन टन करेंगे उत्पादन

श्री सिंह ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष में सीसीएल अपने निर्धारित उत्पादन लक्ष्य 105 मिलियन टन को प्राप्त करेगी. इसका रोडमैप कंपनी ने वित्तीय वर्ष समापन के तीन-चार माह पूर्व बना लिया था. बेरमो के बीएंडके, कथारा, ढोरी एरिया मिल कर चालू वित्तीय वर्ष में 19 मिलियन टन उत्पादन करेंगे. कारो ओसीपी में वन विभाग के स्टेज दो का क्लियरेंस मिल गया है, जल्द ही पेड़ कटाई का टेंडर अवार्ड होगा. कथारा एरिया का उत्पादन भी काफी बिल्डअप हुआ है. ढोरी एरिया भी काफी बेहतर कर रहा है. एरिया की अमलो माइंस को पूरे सीसीएल का मॉडल बनाने की योजना है, क्योंकि यहां जमीन के अलावा लॉजस्टिक उपलब्ध है.

चार फोरेस्ट क्लीयरेंस लेने में कंपनी को सफलता मिली

सीएमडी ने कहा कि सीसीएल के पास एक अप्रैल 2025 तक 13 मिलियन टन कोल स्टॉक था, जबकि एक अप्रैल 2024 में यह 11 मिलियन टन था. गत वित्तीय वर्ष सीसीएल ने अब तक का सबसे ज्यादा उत्पादन किया. जबकि भूमि भी कम थी. पूरे सीसीएल में 40 प्रतिशत भूमि वन भूमि है. फिलहाल हमने चार फॉरेस्ट क्लीयरेंस पाने में सफलता पायी है. इसमें कारो, मगध, आम्रपाली और रजरप्पा एरिया शामिल है. इसमें राज्य सरकार का अभूतपूर्व सहयोग हमें मिल रहा है. कोतरे बसंतपुर परियोजना भी अप्रैल के प्रथम सप्ताह से चालू हो गयी है. इस साल यहां से 1.5 मिलियन टन कोयला उत्पादन होगा. यह सीसीएल की सबसे बड़ी कोकिंग कोल माइंस है.

सीसीएल का गत वित्तीय वर्ष का मुनाफा 800 करोड़ से ज्यादा

कहा कि बीते वित्तीय वर्ष 2024-25 में सीसीएल ने 800 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुनाफा अर्जित किया. जबकि प्रॉफिट का इन्हेंसमेंट सिर्फ 1.5 मिलियन टन था. मुनाफा का कारण यह रहा कि कंपनी ने कोयले की गुणवत्ता का पूर्ण ध्यान रखा. कोल क्वालिटी 2024-25 में 96 परसेंट रहा, वहीं 2023-24 में यह 76 परसेंट था. 2024-25 में कंपनी ने कोल डिस्पैच में 4.5 मिलियन टन का ग्रोथ किया था. कहा कि तीन चार माह में चन्द्रगुप्त एरिया भी चालू हो जायेगा. जुलाई या अगस्त तक ढोरी के अमलो में सीसीएल की पहली हाइवाल माइनिंग से उत्पादन शुरू हो जायेगा. डीजीएमएस का परमिशन बाकी है.15 से 20 दिन में इलेक्ट्रिकल परमिशन आ जायेगा.

आउटसोर्सिंग कंपनियां कर रही हैं बेहतर

कहा कि सीसीएल में कार्यरत आउटसोर्सिंग कंपनियां फिलहाल अच्छा काम कर रही है. सारूबेड़ा में एक आउटसोर्स कंपनी को टर्मिनेट करना पड़ रहा है. जारंगडीह में एक आउटसोर्स कंपनी जहां पहले मात्र एक हजार टन रोजाना उत्पादन कर रही थी, वह अब रोजाना 11 हजार टन उत्पादन कर रही है.

नियमावली से बंधी हुई है कंपनी

एक सवाल के जवाब में कहा कि विस्थापित व ग्रामीण कंपनी के अंग हैं. कंपनी नियमावली से बंधी हुई है और नियमावली हमेशा अच्छा और ओपन होता है. इसमें छल का सवाल ही नहीं होता. कंपनी आरआर पॉलिसी के तहत जमीन और घर का मुआवजा, दो एकड़ पर नौकरी व पुनर्वास योजना पर काम करती है. विस्थापितों को यह बताने की जरूरत है कि इन योजनाओं के लाभ से उनके जीवन में किस तरह का बदलाव आयेंगे. इसे बेहतर ढंग से बताने में कहीं न कहीं हम चूक जाते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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