Bokaro News : आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से आनंद नगर में आयोजित धर्म महासम्मेलन के तीसरे दिन रविवार को साधकों ने “बाबा नाम केवलम ” महामंत्र का गायन कर वातावरण को मधुमय बना दिया. इस अवसर पर “रिनांसा यूनिवर्सल ” के मंच से श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने धर्म की स्थापना में अणुजीवत की भूमिका पर प्रकाश डाला. कहा कि ‘अणुजीवत ‘धर्म’ को स्थापित करने में एक अत्यंत सूक्ष्म लेकिन गहरा प्रभाव डालते हैं. धर्म का अर्थ है व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन को संचालित करने वाला सर्वोच्च नैतिक और आध्यात्मिक सिद्धांत. कहा कि श्री श्री आनंदमूर्ति जी द्वारा 1986 में प्रस्तुत, अणुजीवत अत्यंत सूक्ष्म सत्ता है, जो इलेक्ट्रॉन से भी सूक्ष्म हैं. वे भौतिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक क्षेत्रों के बीच सेतु की तरह कार्य करते हैं. कहा कि सकारात्मक अणुजीवत- स्वास्थ्य, सदाचार और आध्यात्मिक प्रगति में सहायक है. वहीं नकारात्मक अणुजीवत- रोग, पतन और अधर्म को बढ़ाने वाला है. कहा कि सकारात्मक अणुजीवत शरीर, मन और पर्यावरण को संतुलित कर धर्म की आधारशिला को सुदृढ़ करते हैं. ये यम-नियम, विवेक और तर्क को बल प्रदान करते हैं. लोभ, क्रोध आदि प्रवृत्तियों को सूक्ष्म स्तर पर समाप्त करते हैं. कहा कि व्यक्ति को स्थूल से सूक्ष्म और फिर परमात्मा की ओर प्रेरित करते हैं. हरि परिमंडल गोष्ठी (महिला विभाग) के अंतर्गत, आचार्या अवधूतिका आनंद आराधना आचार्या के नेतृत्व में साधिका बहनों ने कौशिकी नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति दी. वहीं सेवा धर्म मिशन की ओर से आचार्य सुष्मितानंद अवधूत के निर्देशन में 25 बाल साधकों ने जोशपूर्ण नृत्य प्रस्तुत किया. मौके पर प्रद्युम्न नारायण, आचार्य विमलानंद अवधूत, आचार्य रागमायानंद अवधूत, आचार्य जगदात्मानंद अवधूत, आचार्य न्यायबोध ब्रह्मचारी, आचार्य कल्याणमित्रानंद अवधूत सहित अन्य मौजूद थे.
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