गांधीनगर, बीएंडके एरिया की बोकारो कोलियरी डीडी माइंस के विस्तार के लिए शिफ्टिंग प्रक्रिया की धीमी गति से प्रबंधन की चिंता बढ़ गयी है. बीते वित्तीय वर्ष में परियोजना उत्पादन लक्ष्य से पीछे रह गयी थी. फिलहाल उत्पादन कार्य पर लगभग ब्रेक लग गया है. धीमी गति से ओबी रिमूवल का कार्य चल रहा है. परियोजना के विस्तार के लिए 142 में से 69 आवासों तथा अन्य भवनों को हर हाल में हटाना होगा. इसमें से 29 सीसीएल कर्मियों के आवास हैं. बाकी में अन्य लोग रह रहे हैं. माइंस पंचायत सचिवालय के एकदम करीब पहुंच गयी है. वर्तमान में बेरमो दक्षिणी पंचायत सचिवालय के अलावा एक आंगनबाड़ी केंद्र तथा दो सामुदायिक भवनों को शिफ्ट करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. सीसीएल द्वारा झारखंड सरकार को निर्धारित राशि जमा करते ही इन भवनों को तोड़ दिया जायेगा. परियोजना के सुरक्षा अधिकारी वीके पंडित ने बताया कि सबसे बड़ी चुनौती यहां रह रहे दिहाड़ी मजदूर को शिफ्ट करने की है. चार नंबर क्षेत्र से लगभग 500 दिहाड़ी मजदूरों को पुराना एक्सकैवेशन के समीप शिफ्टिंग एरिया में पूर्व में बसाया गया है. सरकारी भवनों व बाकी के लगभग 300 आवासों को शिफ्ट कराया गया तो पांच-छह वर्षों तक इस माइंस का चलना संभव हो पायेगा. इधर, यहां वर्षों से रह रहे दिहाड़ी मजदूरों का कहना है कि हमारे पूर्वजों ने यहां रह कर कोलियरी को सींचा है. हम लोग कहां जाएं, प्रबंधन सुविधाओं के साथ यहां से हटाये. पीओ एनके सिंह ने कहा कि शिफ्टिंग नहीं होने से उत्पादन पर पूर्ण रूप से ब्रेक लग जायेगा. उच्च प्रबंधन परियोजना को चलाने को लेकर कड़े निर्णय भी ले सकता है. प्रबंधन गरीब परिवारों को हर संभव सहयोग कर शिफ्टिंग कर रहा है. लोगों को सहयोग करना चाहिए.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है