राकेश वर्मा, बेरमो, 25 जून 1975 की मध्य रात्रि से पूरे देश में आपातकाल लगा था. इसके पहले 14 जनवरी को लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) का बेरमो आये थे. वे संपूर्ण क्रांति के आगाज लेकर पूरे बिहार का दौरा कर रहे थे. इसी क्रम में पटना से हटिया-पटना एक्सप्रेस से सुबह सात बजे बेरमो रेलवे स्टेशन पहुंचे. जहां बेरमो के समाजवादी नेताओं ने उनकी अगवानी की. उसके बाद उन्होंने करगली फुटबॉल मैदान में एक जनसभा को संबोधित किया था. उन्हें देखने व सुनने के लिए हजारों लोग पहुंचे थे. मालूम हो कि उस वक्त बेरमो में जेपी आंदोलन का नेतृत्व समाजवादी नेता सह पूर्व सांसद स्व रामदास सिंह, बेरमो के पूर्व विधायक स्व मिथिलेश सिन्हा, रामप्रसाद, पूर्व मंत्री स्व लालचंद महतो, स्व केडी सिंह, डॉ प्रह्लाद वर्णवाल, मधुसूदन प्रसाद सिंह, मनोरंजन प्रसाद, एसएन सिंह, छात्र नेता प्रमोद कुमार सिंह, रवि मद्रासी, दयानंद वर्णवाल, ललन सिंह अकेला आदि कर रहे थे.
एक बार आये थे पत्नी संग
जयप्रकाश नारायण करगली फुटबॉल मैदान में जनसभा करने से पहले एक बार अपनी पत्नी प्रभावती के साथ भी बेरमो आये थे. करगली में समाजवादी नेता रामप्रसाद के घर गये तथा उनकी बीमार पत्नी से मुलाकात की थी. रामप्रसाद की पत्नी जेपी की पत्नी प्रभावती के साथ भूदान समिति (चरखा समिति) से जुड़ी थीं.
जेपी आंदोलन ने कई को संसदीय राजनीति तक पहुंचाया
जेपी आंदोलन से जुडे़ उस वक्त के कई नेता संसदीय राजनीति के शिखर पर पहुंचे. 1977 के विधानसभा चुनाव में बेरमो के प्रखर समाजवादी नेता मिथिलेश सिन्हा कांग्रेस नेता बिंदेश्वरी दुबे को पराजित कर बेरमो के विधायक बने. गोमिया विधानसभा सीट से समाजवादी व जनसंघी रहे छत्रुराम महतो जनता पार्टी के टिकट पर विधायक बने. इसके अलावा बेरमो से सटे डुमरी विधानसभा सीट से मात्र 26 साल की उम्र में लालचंद महतो जनता पार्टी के टिकट पर ही विधायक बने थे. जबकि 1977 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर बेरमो के समाजवादी नेता रामदास सिंह सांसद बने थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

