बोकारो, प्रभात खबर,आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन सेक्टर-चार में बीजीएच के समीप होमगार्ड जवानों के बीच रविवार को किया गया. कार्यक्रम में महिला व पुरुष होमगार्डों ने अपनी समस्याएं रखी. झारखंड होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन बोकारो शाखा के जिलाध्यक्ष अमरेंद्र कुमार द्विवेदी, सलाहकार वर्षकार पांडे, संरक्षक संजय कुमार, उपाध्यक्ष उमेश कुमार पांडे, अजय कुमार, मुकेश कुमार सिंह, मुख्तार अहमद, रवि कुमार, धर्मेंद्र कुमार, ध्रुव कुमार, जयप्रकाश यादव, दीपक कुमार झा, सूरज कुमार, आशुतोष कुमार आदि ने बताया कि होमगार्ड जवानों की स्थिति बेहतर नहीं है. पुलिसकर्मियों जैसी ड्यूटी और जिम्मेदारी निभाने के बावजूद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों जैसा व्यवहार मिलता है. काम महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन कई बार उचित सम्मान और सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं. बार-बार सरकार से गुहार कर चुके हैं कि हमें भी जिला पुलिस की तरह नियमित किया जाये.
जितने दिन काम, उतने दिन का वेतन
होमगार्ड गुड्डू कुमार, दीपक कुमार, सिद्वेश्वर प्रसाद, उपेंद्र कुमार, रवि कुमार, धर्मशीला कुमारी, सोनम कुमारी, रुबी कुमारी, श्वेता यादव, सचिता कुमारी, रेनू कुमारी आदि ने बताया कि होमगार्ड जवान को जितने दिन काम, उतने दिन का वेतन मिलता है. जबकि वर्दी पहनने वाली अन्य सभी सेवाओं में छुट्टी और सभी सेवा शर्तें दी जाती है. कुछ-कुछ चीजों में बदलाव तो हुआ है, लेकिन मुख्य मांग सेवा नियमितीकरण आज तक पूरी नहीं हो पायी है.
वेतन में देरी की समस्या खत्म हो
बोकारो में कुल 1974 होमगार्ड के पद सृजित है, जिनमें 1833 पदों पर बहाल हैं. इनमें से 597 महिलाएं है. अधिकांश होमगार्ड बीएसएल, सीसीएल, जेएसडब्ल्यू पर्वतपुर, वन विभाग सहित डीसी व एसपी ऑफिस, पोस्ट ऑफिस, बीएसएनएल कार्यालय, अंचल कार्यालय, कस्तूरबा विद्यालय, झारखंड विद्युत विभाग, चास नगर निगम, कानून एवं व्यवस्था आदि विभागों में कार्यरत है. कुछ विभाग को छोड़ कर वेतन देरी से मिलने की समस्या है.
होमगार्डों ने कहाउपेंद्र सिंह : 35 साल से डयूटी कर रहे हैं. समान काम के बदले सामान वेतन का लाभ तो मिला. लेकिन अब तक होमगार्डों को एरियर का लाभ नहीं मिल सका है.
सुरेंद्र प्रसाद : समान सेवा के बदले समान सुविधा मिले. सरकार हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है. पीएफ की सुविधा भी नहीं मिलती है. बिहार में दी जाती है. हर चार साल पर नामांकन का बांड भरना पड़ता है. यह बंद हो. सुरेंद्र प्रसादसुनील दास : पीएफ, मेडिकल, अवकाश या पेंशन जैसी कोई सुविधाएं नहीं मिलती है. इसके अलावा होमगार्ड के जवानो को हर चार साल पर दोबारा नामांकन का बांड भरना पड़ता है, जो बंद होना चाहिए.
प्रतोष कुमार : पूरी लगन के साथ डयूटी करते हैं. विशेष ड्यूटी के लिए बोकारो से बाहर जाना भी पड़ता है. रिटायर होने पर होमागर्डों को पेंशन की व्यवस्था होनी चाहिए. प्रतोष कुमारमुन्ना कुमार सिंह : अवकाश नहीं मिलने के कारण परिवार को कम समय दे पाते हैं. अवकाश लेने पर उनका मानदेय कट जाता है. ऐसे में जरूरी काम भी नहीं कर पाते हैं. परिवार वालों की भी शिकायत रहती है.
नीलम तिर्की : चाहे त्योहार हो या फिर परिवार में किसी का जरूरी काम, लेकिन एक दिन की छुट्टी ीाी नहीं मिलती है. जितने दिन ड्यूटी करते हैं, उतने ही दिन के हिसाब से वेतन दिया जाता है. नीलम तिर्कीमो तबरेजसाह आलम : होमगार्डों के लिए पेंशन की व्यवस्था होनी चाहिए. आयुष्मान योजना का भी लाभ देने पर भी जल्द निर्णय होना चाहिए. चिंता कुमारी : महिला होमगार्डों की समस्याओं को दूर नहीं किया जा रहा है. 365 दिन ड्यूटी व मातृत्व व आकस्मिक अवकाश मिले.
चिंता कुमारीडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

