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डीपीएस बोकारो का हार्दिक एनआइडी की प्रवेश परीक्षा में आया अव्वल

लकीरों से डिजाइन बनाने का कौशल डीपीएस बोकारो के छात्र रहे हार्दिक श्री के काम आया. 19 वर्षीय हार्दिक ने देश के सबसे बड़े डिजाइनिंग संस्थान एनआइडी (राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान) की प्रवेश परीक्षा में देशभर में पहला स्थान प्राप्त किया है.

पिछले साल मिली थी 48वीं रैंक, इस बार की दोगुनी मेहनत

बोकारो.

लकीरों से डिजाइन बनाने का कौशल डीपीएस बोकारो के छात्र रहे हार्दिक श्री के काम आया. 19 वर्षीय हार्दिक ने देश के सबसे बड़े डिजाइनिंग संस्थान एनआइडी (राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान) की प्रवेश परीक्षा में देशभर में पहला स्थान प्राप्त किया है. बी. डिजाइन में दाखिले के लिए आयोजित इस परीक्षा में उसे ओपन और ओबीसी एनसीएल, दोनों ही कैटेगरी में ऑल इंडिया रैंक एक मिली. खास बात यह है कि पिछले साल भी उसे इसमें सफलता मिली थी, पर रैंक 48 थी. इस बार उसने दोगुनी मेहनत की और नतीजा सामने है. उसकी कामयाबी पर स्कूल परिवार में हर्ष का माहौल है. प्राचार्य डॉ. एएस गंगवार ने उसे बधाई देते हुए इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बतायी है.

फेल होने पर रुचि के अनुसार खुद को एक्सप्लोर करें :

हार्दिक श्री का मानना है कि नाकामी की बजाय उससे सबक लेकर और मेहनत करनी चाहिए. पढ़ाई-लिखाई या करियर संबंधी कोई परीक्षा जीवन की आखिरी परीक्षा नहीं होती. फेल होने पर हताश होने की बजाय अपनी रुचि को देखते हुए खुद को एक्सप्लोर करें, अपनी प्रतिभा को विस्तार दें. अवसर और सुखद परिणाम जरूर मिलेंगे. बताया कि उसकी दिली ख्वाहिश एनआइडी अहमदाबाद से डिजाइनिंग में चार-वर्षीय स्नातक करने की थी. गत वर्ष यह पूरी नहीं हो पायी थी. इसलिए, उसने इस बार जी-तोड़ मेहनत की. आगामी एक जुलाई से वहां सत्र शुरू हो रहा है.

हार्दिक ने बदल दिया लकीर का मतलब :

हार्दिक ने पिछले ही साल डीपीएस बोकारो से 90 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. इसके पूर्व 10वीं में 95 प्रतिशत अंक प्राप्त किया था. हार्दिक ने खुद के लिए लकीर के मायने ही बदल दिये हैं. उसकी खिंची लकीर उसका तकदीर बनेगी और उन्हीं लकीरों से तैयार उसकी डिजाइन देश के नामी-गिरामी कंपनियों के उत्पादों में नयापन लायेगी. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (एनआईएफटी) में रैंक 13 व आईआईटी के तहत संचालित अंडर ग्रेजुएट कॉमन एंट्रेंस एग्जामिनेशन इन डिजाइन (यूसीइइडी) में रैंक 89 मिली थी.

इंडियन आइडल तक का सफर :

हार्दिक ने अपनी सफलता के पीछे मां बबीता सिंह की निर्णायक भूमिका बतायी. पारिवारिक परेशानियों के बीच मां ने हार्दिक को मां के साथ-साथ पिता का भी प्यार दिया. हार्दिक ने कहा : उसकी मां ही उसके लिए जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा है. उनका संघर्ष अनुकरणीय है. हार्दिक श्री संगीत में भी दक्ष है. संगीत की राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में विद्यालय को प्रथम पुरस्कार दिला चुका है. गायन में इंडियन आइडल तक भी वह पहुंच चुका है. हार्दिक ने बताया कि रेखाचित्र, चित्रांकन और कलाकारी तकनीक और विश्लेषण के आधार पर जब मूर्त रूप लेता है, तो परफेक्ट डिजाइन बनती है. आज के समय में इसमें करियर की असीम संभावनाएं हैं.

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