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Bokaro News : फसलों के लिए अधिक बारिश बनी मुसीबत

Bokaro News : अधिक बारिश से किसान भी परेशान हैं. भदई फसल बरबाद हो गयी है और अब धान की फसल को भी नुकसान होता दिख रहा है.

उदय गिरि, फुसरो नगर, अधिक बारिश से किसान भी परेशान हैं. भदई फसल बरबाद हो गयी है और अब धान की फसल को भी नुकसान होता दिख रहा है. अरहर, मकई, मूंग, अरहर, बरई, बैंगन, टमाटर, गोभी, झिंगा, करेला आदि के पौधे लगातार बारिश के कारण गल गये. किसानों का श्रम, संसाधन व पूंजी डूब गयी. इधर, बहियार खेतों में लगी धान के फसल भी प्रभावित हो रही है. धान की फसल को बारिश के साथ-साथ धूप की भी आवश्यकता है. लगातार बारिश के कारण धान की फसल में बीमारी हो रही है. पौधों में कीड़े लग रहे हैं व गल जा रहे हैं. इसे बोकी रोग कहा जाता है.

चंद्रपुरा प्रखंड अंतर्गत तेलो के प्रगतिशील किसान संजय महतो ने कहा कि 70 डिसमिल जमीन पर मकई लगायी थी. ठीक बाली देने का समय आया तो ज्यादा बारिश के कारण बीमारी (फंगस रोग) लग गयी. पौधे लाल होकर नष्ट हो गये. करेला भी 20 डिसमील में लगा था. फल देने से पहले पौधे गल गये. बोकारो आत्मा के उप परियोजना निदेशक बबलू सिंह ने कहा कि लंबे समय तक बारिश और आर्द्रता के कारण फसलों में फंगल और जीवाणु रोगों का प्रकोप बढ़ रहा है. कृषि विभाग वैकल्पिक व्यवस्था पर भी विचार कर रहा है. नावाडीह प्रखंड के गुंजरडीह निवासी किसान नकुल महतो ने बताया कि भदई फसल में भारी नुकसान हुआ. अब धान की फसल में बीमारी लग गयी है. दवा का छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन लगातार बारिश के कारण कोई लाभ नहीं हुआ है. पपलो पंचायत के कमलडीह गांव की प्रगतिशील किसान सावित्री देवी ने बताया कि एक एकड़ में मकई, 50 डिसमिल में लाहर के अलावे गोभी के पौधे लगाये थे. लेकिन अत्याधिक बारिश के कारण अधिकतर पौधे गल गये. तारानारी के प्रगतिशील किसान हिरालाल महतो ने बताया कि बैंगन के 13 सौ पौधे लगाये थे. तीन सौ से अधिक पौधे मर चुके हैं. कोहड़ा व गोभी की खेती भी प्रभावित हो रही है. डेढ़ एकड़ में लगी धान की फसल में कीड़े लग गये हैं.

अधिक बारिश से फसलों को होने वाले प्रमुख रोग

जड़ सड़न : अत्याधिक नमी के कारण पौधों की जड़ गल जाती है, जिससे पौधे पीले पड़ जाते हैं और विकास रुक जाता है.

लीफ ब्लाइट : यह एक फफूंद जनित रोग है, जो नमी वाले वातावरण में तेजी से फैलता है.

बैक्टेरियल लीफ ब्लाईट : यह जीवाणु रोग उच्च तापमान और नमी में गंभीर हो जाता है और फूल आने से पहले की अवस्था में प्रभावित करता है.

कीट संक्रमण : उच्च आर्द्रता में फफूंद और कीट पनपते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

फॉल आर्मी वर्म : यह कीट भी बारिश के मौसम में मक्के की फसल पर भारी नुकसान पहुंचाता है.

ऑक्सीजन की कमी : जलभराव से जड़ों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे पौधे कमजोर होते हैं.

पोषक तत्वों का क्षरण : भारी बारिश से मिट्टी के आवश्यक पोषक तत्व भी बह जाते हैं, जिससे फसल को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता.

पीलापन और कम उत्पादन : पौधे कमजोर होने लगते हैं, उनमें पीलापन आ जाता है, जिससे दाने ठीक से नहीं बन पाते और उत्पादन घट जाता है.

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