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Bokaro News : श्री अयप्पा मंदिर-सेक्टर पांच से 14 को सबरीमाला के लिए प्रस्थान करेंगे भक्त

Bokaro News : सबरीमाला जाने के लिए कई भक्तों ने धारण किया माला

Bokaro News : 14 जनवरी को श्री अयप्पा मंदिर-सेक्टर पांच में मकर संक्रांति पूजा के बाद भगवान अय्यप्पा स्वामी के भक्त सबरीमाला के लिए प्रस्थान करेंगे. इनमें तुलसीधारण पिल्लई, शशिन्द्रन करात, पवन कुमार, उन्नी कृष्णन नायर, बाबूराज-आर व पूर्व में पत्नी के साथ सबरीमाला से लौटे सुशील कुमार चक्रवर्थी शामिल हैं. बुधवार को मंदिर प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष राजगोपाल, सचिव ईइस सुशीलन, मोहनन नायर, पूर्व अध्यक्ष सतीश नायर व पूर्व सचिव डी शशिकुमार सहित अन्य ने श्रद्धालुओं को यात्रा व दर्शन की शुभकामना दी. उल्लेखनीय है कि कुछ वर्षों से अय्यप्पा स्वामी के भक्त हर साल दर्शन के लिए श्री अयप्पा मंदिर सेक्टर पांच से माला धारण कर प्रस्थान कर रहे हैं. इस साल भी यहां से माला धारण कर श्रद्धालु जायेंगे. श्री अय्यप्पा मंदिर बोकारो में भी होता आ रहा है सबरीमाला के पूजा का विधि-विधान : बोकारो श्री अय्यप्पा मंदिर में भी सबरीमाला के पूजा का विधि-विधान होता आ रहा है. मंदिर सुबह 05.30 बजे खुल जाता है और सुबह 10.00 बजे तक सुबह का पूरा पूजा संपन्न होने के बाद मंदिर बंद हो जाता है. शाम को मंदिर 05.30 बजे खुलता और रात्रि 08.30 बजे बंद हो जाता है. श्री अय्यप्पा मंदिर बोकारो में प्रत्येक दिन सुबह 06.00 बजे पहला पूजा गणेश हवन के साथ शुरू होता है. गृह शांति के लिए हर शनिवार को नवग्रह का पूजा होता है. शारीरिक समस्याओं के समाधान के लिए महादेव के मंदिर में जलधारा सोमवार को सुबह 08 .30 को रुद्राभिषेक, मृत्यंजय अर्चना होता है. अतिविशेष पूजा में ‘मृत्यंजय हवन’ भी होता है. देवी मंदिर व हनुमान मंदिर में कुमकुम का अर्चना भी होता है.

41 दिन का नियमित वृत के बाद ही मुख्य मंदिर के लिए प्रस्थान करते हैं भक्त :

शशिन्द्रन करात ने बताया : कलियुग के स्वामी माने जानेवाले श्री अय्यप्पा स्वामी का मुख्य मंदिर केरल में पत्तनमतित्ता जिला के सबरीमाला में स्थित है. हर साल 16/17 नवंबर से खुलने वाला यह मंदिर 14/15 जनवरी तक पूर्ण रूप (बाकी समय में मलयालम महीना का प्रथम पांच दिन ही खुलता है) से खुला रहता है. हर श्रद्धालु अपने सिर पर भगवन का नाम से मुद्रा (घी से भरा हुआ नारियल ) लेकर ही दर्शन के लिए जाते हैं. तुलसी माला में अय्यप्पा स्वामी का लॉकेट पहनने के बाद 41 दिन का नियमित वृत के बाद ही सभी भक्त मुख्य मंदिर के लिए प्रस्थान करते हैं. श्री अय्यप्पा मंदिर, सबरीमाला में होने वाली 18 सीढ़ियों की पूजा भी महत्वपूर्ण है. यह मंदिर 18 पहाड़ों से घिरा हुआ है. यहां हर साल भक्तों की भीड़ उमड़ती है.

सांसारिक व शारीरिक मोह माया से मुक्ति पाने की राह हैं 18 कदमों की सीढ़ियां :

सबरीमाला मंदिर के पवित्र गर्भगृह के दर्शन से पूर्व श्रद्धालुओं को 18 कदमों की सीढ़ियों को चढ़ना होता है. इन सीढ़ियों के माध्यम से मनुष्य सांसारिक व शारीरिक मोह माया से मुक्ति पाने की राह पाते हैं. सीढ़ियों के 18 कदम कई प्रतीकों को दर्शाते हैं. सीढ़ी के पहले पांच कदम मनुष्य की पांच इंद्रियों के प्रतीक होते है. दर्शन (आंख), श्रवण (कान), सूंघना (नाक), स्वाद (जिह्वा), स्पर्श (त्वचा) मनुष्य की पंच इंद्रियां होती हैं. अगले आठ कदमों को अष्टराग कहा जाता है, जो मनुष्य की आठ भावनाओं को दर्शाते हैं. क्रोध, काम, लोभ, मोह, असूया (ईर्ष्या), धूम्भ, मधा (अहंकार) व मल्त्सर्या (गर्व) वो आठ भावना है. अगली तीन सीढ़ियां मनुष्य के गुणों का प्रतिनिधित्व करती हैं – सत्व यानी अच्छाई, राजस अर्थात् उत्साह व तमस यानी निरुत्साह. इसके साथ ही अंतिम दो सीढ़ियां विद्या व अविद्या (अज्ञानता) को दर्शाती हैं.

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Prabhat Khabar News Desk
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