बोकारो थर्मल, नावाडीह प्रखंड अंतर्गत पेंक नारायणपुर थाना क्षेत्र में बीते आठ मई को एक आदिवासी महिला से हुई दुष्कर्म की कोशिश की घटना की जांच के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा सोमवार को पीड़िता के गांव पहुंचीं. इस दौरान डॉ लकड़ा बोकारो जिला प्रशासन के रवैये पर काफी नाराज दिखीं. उन्होंने कहा कि उपायुक्त विजया जाधव और एसपी मनोज स्वर्गियारी से घटना की जांच कर तीन दिनों में रिपोर्ट मांगी गयी थी, लेकिन प्रशासन ने ऐसा नहीं किया. बताते चलें कि 19 मई को पीड़ित आदिवासी महिला ने आयोग से मामले की जांच की मांग की थी. आयोग ने 22 मई को डीसी और एसपी को पत्र लिख कर 25 मई तक घटना की जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा था. आयोग को 25 मई तक जिला प्रशासन की रिपोर्ट नहीं मिली, तो डॉ आशा लकड़ा जांच करने स्वयं पीड़िता के घर पहुंच गयीं. उन्होंने पीड़ित आदिवासी महिला से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. साथ ही, राज्य सरकार द्वारा उसे किसी प्रकार का मुआवजा नहीं मिलने और अब तक हुई कानूनी कार्रवाई से भी अवगत हुईं.
सरकार पर भी साधा निशाना
बाद में डॉ आशा लकड़ा ने बोकारो थर्मल स्थित डीवीसी के निदेशक भवन में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि आयोग जांच रिपोर्ट तैयार करने के बाद बोकारो के डीसी और एसपी को बुलायेगा. जरूरत पड़ी, तो डीजीपी और मुख्य सचिव भी बुलाये जायेंगे : सदस्य डॉ आशा लकड़ा ने कहा कि जरूरत पड़ी, तो राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव को भी आयोग के समक्ष बुलाया जायेगा. उन्होंने कहा कि आदिवासी सीएम रहने के बाद भी राज्य में आदिवासी महिलाओं, बच्चियों व युवतियों के साथ अत्याचार की घटनाएं घट रही हैं. उनकी आबरू और जमीन लूटी जा रही है. यह सरकार आदिवासियों के हितों की रक्षा करने में विफल साबित हो रही है. एक आदिवासी महिला के साथ नहाने के दौरान दुष्कर्म का प्रयास किया गया. महिला ने किसी तरह अपनी आबरू बचायी, लेकिन राज्य सरकार और उनके एक मंत्री ने महिला की सुधि नहीं ली. दुष्कर्म का प्रयास करने वाले के परिवार को मुआवजा, आवास, नियोजन आदि की घोषणा कर दी. ऐसा कहां का प्रावधान है. आयोग आदिवासी महिला के साथ है और हर परिस्थिति में न्याय दिलाया जायेगा. डॉ लकड़ा ने कहा कि आदिवासियों पर अत्याचार के खिलाफ आवेदनों की संख्या में बढ़ोतरी बताती है कि उनमें अन्याय व अत्याचार को लेकर जागरूकता आयी है. उनके साथ बोकारो के पूर्व विधायक बिरंची नारायण, पूर्व जिलाध्यक्ष भरत यादव, श्रवण सिंह भी थे.
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