बोकारो, सरना धर्म कोड की मान्यता की मांग को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा बोकारो जिला इकाई की ओर से मंगलवार को डीसी कार्यालय के समक्ष धरना दिया गया. अध्यक्षता जिलाध्यक्ष रतनलाल मांझी ने की. मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि आदिवासी समाज की सांस्कृतिक अस्मिता, धार्मिक पहचान और आत्मसम्मान को लगातार नजर अंदाज किया जा रहा है. केंद्र सरकार आदिवासी समुदाय की भावना और संवैधानिक अधिकारों की उपेक्षा कर रही है. जब तक आदिवासी समाज को उसका धार्मिक अधिकार नहीं मिलेगा, यह जारी रहेगा. मंत्री ने कहा कि 2021 की जनगणना से पहले झारखंड विधानसभा ने सर्वसम्मति से सरना धर्म कोड विधेयक पारित किया था, लेकिन अब तक केंद्र सरकार की स्वीकृति नहीं मिलना यह दर्शाता है कि सरकार आदिवासियों की पहचान मिटाने पर तुली है. सरना धर्म कोई पंथ नहीं बल्कि एक अलग और प्रकृति आधारित आस्था व्यवस्था है. इसकी मान्यता ना देना, देश की विविधता पर कुठाराघात है.
जनगणना की प्रक्रिया स्थगित की जाए : रतनलाल
जिलाध्यक्ष रतनलाल मांझी ने कहा कि धरना के बाद महामहिम राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा गया. ज्ञापन के माध्यम से आग्रह किया गया कि जब तक केंद्र सरकार सरना धर्म कोड को मान्यता नहीं देती, तब तक देश में जनगणना की प्रक्रिया स्थगित की जाए. कहा कि यदि जनगणना इस मांग को दरकिनार करते हुए की जाती है, तो आदिवासी समाज की धार्मिक पहचान अन्य धर्मों में विलीन हो जायेगी, जो स्वीकार्य नहीं है.वंचित तबकों को सुरक्षित रख रहा झामुमो : उमाकांत
विधायक उमाकांत रजक ने कहा की झामुमो और उसके सहयोगी दल वर्षों से जातिगत जनगणना और आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की मांग करते आ रहे हैं. आदिवासी, मूलवासी और वंचित तबकों की अस्मिता को सुरक्षित रखने का कार्य झामुमो लगातार कर रहा है.आदिवासी व मूलवासी समाज के हितों की प्राथमिकता : मंटू यादव
महानगर अध्यक्ष मंटू यादव ने राज्य सरकार की सराहना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड सरकार ने पहली बार आदिवासी और मूलवासी समाज के हितों को प्राथमिकता पर रखा है. चाहे वह स्थानीय नीति हो, नियोजन नीति हो, या फिर सरना धर्म कोड विधेयक का विधानसभा में पारित होना यह सब हेमंत सरकार की दूरदर्शी सोच और जनप्रतिबद्धता का परिणाम है. संचालन जिला सचिव मुकेश महतो ने किया.ये हुए शामिल
धरना में केंद्रीय सदस्य संतोष रजवार, हीरालाल मांझी, अखिलेश महतो, जयनारायण महतो, मनोहर मुर्मू, बबली सोरेन, अशोक मुर्मू, घूनू हांसदा, मोहन मुर्मू, पंकज जसवाल, विजय रजवार, फिरदौस अंसारी, बीके चौधरी, समेत काफी संख्या में झामुमो कार्यकर्ता, आदिवासी समाज के प्रतिनिधि और नागरिक शामिल हुए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है