बोकारो, आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन आनंद नगर में शुक्रवार से प्रभात संगीत कीर्तन और आध्यात्मिक साधना के साथ शुरू हुआ. मार्ग गुरु प्रतिनिधि आचार्य विकासानंद अवधूत ने श्री श्री आनंदमूर्ति के दर्शन पर बोलते हुए कहा कि सूक्ष्म स्थिति को महान स्थिति में परिवर्तित करने का विज्ञान ही आध्यात्मिक साधना है. क्या जीवात्मा और परमात्मा दो अलग-अलग तत्व हैं. नहीं, वे अलग नहीं हैं. लेकिन जब तक जीवात्मा बंधनों में जकड़ी रहती है, वह सृष्टि के चक्र में जन्म और मरण के खेल के कारण घूमती रहती है. जब विषयमय मन निरंतर साधना द्वारा अपने सभी संचित संस्कारों (क्रियात्मक प्रवृत्तियों) को समाप्त कर देता है, तब वह परम चेतना में एकाकार हो जाता है. वास्तव में, जीवात्मा और परमात्मा के बीच अंतर केवल दो चीजों से होता है. आचार्य ने कहा कि हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं कि एक मां अक्सर अपने बच्चे को खिलौने या कुछ खाने को देकर अपने घरेलू कामों में लग जाती है. थोड़ी देर खेलने के बाद जब बच्चा अपनी मां को याद कर जोर से रोता है, ताकि मां का ध्यान उसकी ओर जाए. मां चाहे कितनी भी व्यस्त हो, जब वह अपने बच्चे की पुकार सुनती है, तो वह अपने काम छोड़कर बच्चे के पास जाती है. उसे गोद में उठाकर प्यार करती है. ठीक इसी प्रकार, जब कोई साधक परम पुरुष को अत्यंत प्रेम और समर्पण से पुकारता है, तो उसकी पुकार परम पुरुष तक अवश्य पहुंचती है और उसकी कृपा से साधक मुक्ति को प्राप्त करता है. मौके पर आचार्य दिव्यचेतनानंद अवधूत सहित अन्य मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

