दीपक सवाल, कसमार, झारखंड-पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित सेवाती घाटी प्रकृति, लोक आस्था और रोमांच की अनोखी धरोहर है. कसमार प्रखंड मुख्यालय से लगभग 20 किमी दूर बसे इस स्थल की खासियत यह है कि यहां की खूबसूरत वादियां, पहाड़ों से गिरता झरना और घना जंगल पिकनिक मनाने वालों को बार-बार बुलाते हैं. दिसंबर से जनवरी तक यहां पर्यटकों और स्थानीय परिवारों की भीड़ रहती है, जबकि साल के बाकी दिनों में भी लोग शांति और सुकून के लिए पहुंचते हैं. करीब 200 फीट की ऊंचाई से गिरने वाला झरना सेवाती घाटी का मुख्य आकर्षण है. बरसात में इसका रूप सबसे भव्य दिखता है. झरने से बहता पानी बंगाल सीमा में प्रवेश करता है, इसलिए इसे अंतरराज्यीय सीमा चिन्ह भी माना जाता है. घाटी से होकर कसमार से पश्चिम बंगाल के झालदा की दूरी लगभग आधी रह जाती है, जिससे सीमावर्ती गांवों के लोगों को बड़ा लाभ मिलता है. सेवाती घाटी लोक परंपरा और आस्था का भी प्रमुख केंद्र है. यहां मकर संक्रांति पर आयोजित होने वाला तीन दिवसीय टुसू मेला इस क्षेत्र की पहचान बन चुका है, जिसमें दोनों राज्यों से हजारों लोग आते हैं. टुसू गीतों की गूंज और घाटी का प्राकृतिक स्वरूप मिलकर उत्सव को यादगार बना देता है. घाटी के विकास की दिशा में हाल के वर्षों में काफी पहल हुई है. सड़क पहुंच सुधरने के बाद यहां पर्यटन की संभावना तेज हुई है और स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि आने वाले समय में यह स्थल झारखंड के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में शुमार होगा.
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