सुनील तिवारी, बोकारो, स्टील सिटी बोकारो सहित देश चार दिसंबर गुरुवार को नौसेना दिवस मना रहा है. यह दिन नौसैनिक बलों की वीरता, समर्पण और उपलब्धियों को समर्पित है. यह दिन न केवल हमारी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में नौसेना की भूमिका को रेखांकित करता है, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने में उनके योगदान को भी दर्शाता है.
भारत में नौसेना दिवस नौसैनिक की शान और उपलब्धियों को दिखाने के लिए मनाया जाता है. नौसेना दिवस पर हर साल भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध को याद किया जाता है और इसे भारतीय नौसेना की अविस्मरणीय जीत के जश्न के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर प्रभात खबर ने बुधवार को बोकारो में रहे पूर्व नौ सैनिकों से बातचीत की. भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध को याद कर बोकारो के पूर्व नौ सैनिकों की आंखें चमक उठीं.कराची के तेल डिपो में लगी आग सात दिनों तक नहीं बुझायी जा सकी थी
बोकारो में रह रहे पूर्व नौ सैनिक दीपक कुमार, रोहित कुमार, अमित कुमार, सरजू शर्मा, रजनीश कुमार तिवारी, विनय कुमार व राकेश कुमार मिश्रा ने बुधवार को प्रभात खबर से बातचीत में 1971 युद्ध की यादें साझा कीं. बताया पाकिस्तानी सेना ने तीन दिसंबर को भारतीय वायु क्षेत्र व सीमावर्ती क्षेत्र पर अपने लड़ाकू विमानों से भारत पर हमला किया था. उस वक्त भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान को जवाब देने के लिए एक ऑपरेशन चलाया था. चार दिसंबर 1971 को ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत नौसेना ने पाकिस्तान पर हमला किया था. इस युद्ध में पहली बार जहाज पर मार करने वाली एंटी शीप मिसाइल का इस्तेमाल किया गया था. इस दौरान भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कई जहाज और तेल डिपो को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था. यह युद्ध लगभग सात दिनों तक चलता रहा. इस युद्ध में आग की लपटों को 60 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता था. कराची के तेल डिपो में लगी आग को सात दिनों और सात रातों तक नहीं बुझाया जा सका.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

