सुनील तिवारी, बोकारो, पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी ने पुस्तकालय मैदान में तार्किक और देश प्रेम से ओत-प्रोत भाषण दिया था. वर्ष 2000 में बोकारो विधानसभा में जदयू प्रत्याशी (एनडीए) अशोक चौधरी के समर्थन में सेक्टर पांच पुस्तकालय मैदान में स्व वाजपेयी ने चुनावी सभा को संबोधित किया था. इन्हें देखने-सुनने के लिए भीड़ उमड़ी थी. आज भी लोग उस चुनावी सभा को याद करते हैं. 25 दिसंबर यानी आज स्व वाजपेयी की जयंती है. ऐसे में वाजपेयी जी का बोकारो के संदर्भ में चर्चा प्रासंगिक है. पूर्व पीएम दिवंगत वाजपेयी ने बोकारो में चार बार अपनी उपस्थिति दर्ज की थी. वर्ष 1978, 1983, 1985 व अंतिम बार वर्ष 2000 में प्रधानमंत्री के रूप में वाजपेयी जी बोकारो आये थे. इसलिये उनकी जयंती पर आज स्टील सिटी बोकारो उनको याद कर रहा है. उनकी जयंती मना रहा है.
मंच पर पहुंचे, आशीर्वाद दिया और पूछा, ठीक हो ना : अशोक चौधरी
जदयू के झारखंड प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक चौधरी ने बुधवार को प्रभात खबर से कहा कि अटल जी के साथ बिताये गये क्षण मेरे जीवन के सबसे अनमोल क्षणों में से एक था, जब विशाल भीड़ को उनके द्वारा संबोधित किया गया था. भाषण में किसी के प्रति कोई कटुता नहीं थी. भाषण तार्किक और देश प्रेम से ओत-प्रोत था. उनका व्यक्तित्व हिमालय की तरह विशाल और गंगा की तरह पवित्र था. उन्होंने राजनीति में सुचिता और गरिमा का मानक स्थापित किया. सचमुच, बोकारो में उनके द्वारा बिताये गये लम्हें बोकारो वासियों के लिए सदैव यादगार का पल रहेगा. चुनावी सभा में जब स्व वाजपेयी मंच पर पहुंचे, तब उनका पैर छूआ. उन्होंने आशीर्वाद दिया और पूछा कि ठीक हो ना. उसमें बहुत अपनापन महसूस किया. वह क्षण कभी नहीं भूल सकता. वह सादगी से परिपूर्ण सच्चे अर्थ में जन नेता थे. वह राजनीति के आदर्श थे, हैं और हमेशा रहेंगे.
अन्नपूर्णा मंदिर चास के निकट हुई थी सभा
बोकारो के पूर्व विधायक व मंत्री रहे स्व समरेश सिंह को अटल बिहारी वाजपेयी उनके जुझारू व्यक्तित्व के चलते काफी मानते थे. यही वजह थी कि वह समरेश सिंह के बुलावे पर वर्ष 2000 के पहले भी बोकारो व चास में (प्रधानमंत्री बनने से पहले) कई बार आये. निर्दलीय विधायक बनने के बाद, भारतीय जनसंघ के नेता व विदेश मंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी की सभा चास के अन्नपूर्णा मंदिर के निकट हुई थी. वर्ष 2000 में दिवंगत वाजपेयी के साथ तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस भी बोकारो आये थे. स्व समरेश सिंह ने एक बार प्रभात खबर से बातचीत में बताया था कि एक बार दिल्ली गया था. अटल जी गाड़ी से कहीं निकल रहे थे. उन्होंने अपनी गाड़ी में बैठा लिया. जहां गये, वहां सबसे परिचय कराया. वह क्षण कभी नहीं भूल सकता. वाजपेयी जी हंसमुख स्वभाव के थे. कई बार मजाक से शमशेर कहकर भी बुलाते थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

