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‘नेचर स्कूल’ की भूमिका में है बोकारो का जैविक उद्यान, पेड़-पौधों का अध्ययन करने आते हैं विद्यार्थी

बोकारो आने वाले अतिथियों, केंद्र व राज्य सरकार के मंत्रियों सहित अन्य गण्यमान्य लोगों द्वारा लगाये गये पौधे हैं, जो आज वृक्ष बन चुके हैं. स्मृति वृक्ष विहार अतिथियों की याद ताजा करता है.

बोकारो का जैविक उद्यान ‘नेचर स्कूल’ की भूमिका भी निभा रहा है. 127 एकड़ क्षेत्रफल में फैले उद्यान में 2000 से अधिक पेड़-पौधे हैं. 237 पशु-पक्षियों का बसेरा बोकारो सेक्टर-4 स्थित जवाहर लाल नेहरू जैविक उद्यान पर्यावरण संरक्षण का पाठ भी पढ़ा रहा है. साउथ अमेरिका का ‘कैनन बॉल ट्री’ मुख्य रूप से आकर्षण का केंद्र है. कचनार, महोगनी, सेमल, चकुंडी, झाउ, गुलमोहर, दुमर…उद्यान में दर्जनों तरह के पेड़-पौधे हैं.

पेड़-पौधों का अध्ययन करने आते हैं स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी

बोकारो सहित आस-पास के स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी पेड़-पौधों का अध्ययन करने यहां आते हैं. उद्यान में वन से होने वाले लाभ की जानकारी देने के लिए बोर्ड भी लगा है. यहां उद्यान के स्थापना काल (14 जनवरी 1989 ) से लेकर अब तक स्मृति वृक्ष विहार-एक से लेकर स्मृति वृक्ष विहार-चार तक बीएसएल में आने वाले सेल के अधिकारियों, बोकारो आने वाले अतिथियों, केंद्र व राज्य सरकार के मंत्रियों सहित अन्य गण्यमान्य लोगों द्वारा लगाये गये पौधे हैं, जो आज वृक्ष बन चुके हैं. स्मृति वृक्ष विहार अतिथियों की याद ताजा करता है.

चार दशक से विशिष्ट अतिथियों से पौधे लगवाने का सिलसिला

चार दशक से जैविक उद्यान के स्मृति वृक्ष विहार में विशिष्ट अतिथियों से पौधे लगवाने का सिलसिला चला आ रहा है. अतिथियों ने इतने पौधे लगाये हैं कि स्मृति वृक्ष विहार की संख्या चार तक पहुंच चुकी है. अभी स्मृति वृक्ष विहार-चार में पौधा लगाने का सिलसिला जारी है. इससे उद्यान में चारों ओर हरियाली नजर आती है. कई लोगों ने उद्यान के रजिस्टर में दर्ज किया है कि उन्हें यहां आकर पौधा लगाने की प्रेरणा मिली.

डॉ कलाम ने लगाया था महोगनी का पौधा

स्मृति वृक्ष विहार के हर पेड़ पर उसे लगाने वाले व्यक्ति का साइन बोर्ड लगा हुआ है. यहां आकर आप पता कर सकते हैं कि कौन राष्ट्रपति, कौन सेल अध्यक्ष, कौन सेल अधिकारी, कौन केंद्रीय व राज्य मंत्री… बोकारो कब आये थे और कौन-से पौधे लगाये. जैसे, एक अक्तूबर 2001 को भारत रत्न से सम्मानित मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अबुल कलाम जब भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार थे, तब वह बोकारो आये थे. उस समय उन्होंने जैविक उद्यान के स्मृति वृक्ष विहार में महोगनी का पौधा लगाया था, जो अब वृक्ष बन चुका है.

तीन सौ से अधिक अति विशिष्ट अतिथियों ने किया है पौधरोपण

जैविक उद्यान के स्मृति वृक्ष विहार में डॉ. कलाम ही नहीं, धर्मेंद्र प्रधान, दिनेश गोस्वामी, श्री श्री रविशंकर, वेद मारवाह, डॉ. सैयद रजी, अजीत जोगी, एमआरआर नायर, एसआर जैन, अरविंद पांडेय, एसके रुंगटा, सीएस वर्मा, सोमा मंडल सहित तीन सौ से अधिक अति विशिष्ट अतिथियों ने पौधरोपण किया है. मतलब, हर पेड़ के साथ कोई न कोई सुखद स्मृति है. स्मृति वृक्ष विहार से लोगों की यादें जुड़ गयी हैं. पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए अतिथियों से यहां पौधरोपण कराया जाता है. अब यह परंपरा हो गयी है.

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