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22 दरिंदों ने किया था दुष्कर्म

हैवानियत की वो रात. पांच अप्रैल, 1999 को भर्रा बस्ती की घटना अजय सिंह बोकारो : पांच अप्रैल, 1999 की रात बोकारो के इतिहास की वह काली रात है, जिसे बोकारोवासी कभी भूल नहीं पायेंगे. इसी रात सेक्टर पांच निवासी 19 वर्षीया संत जेवियर्स स्कूल की छात्र के साथ चास की भर्रा बस्ती में 22 […]

हैवानियत की वो रात. पांच अप्रैल, 1999 को भर्रा बस्ती की घटना
अजय सिंह
बोकारो : पांच अप्रैल, 1999 की रात बोकारो के इतिहास की वह काली रात है, जिसे बोकारोवासी कभी भूल नहीं पायेंगे. इसी रात सेक्टर पांच निवासी 19 वर्षीया संत जेवियर्स स्कूल की छात्र के साथ चास की भर्रा बस्ती में 22 लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था.
घटना के दूसरे दिन शहर के लोगों को कुछ पता नहीं चला. एक दिन बाद जब चास व बोकारोवासियोंको इस घटना की जानकारी मिली, तो शहर में सांप्रदायिक तनाव भड़क गया. घटना के विरोध में स्थानीय लोगों ने चास की कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया था. शहर में विधि-व्यवस्था बहाल करने के लिए प्रशासन को कफ्यरू लगाना पड़ा था. स्थानीय लोगों ने पीड़िता को काल्पनिक नाम मोनिका दिया.
क्या है मामला
घटना की प्राथमिकी मोनिका के पिता के बयान पर घटना के दो दिनों बाद थाना में दर्ज की गयी थी. संत जेवियर्स स्कूल की मेधावी छात्र मोनिका पांच अप्रैल 1999 को पढ़ाई करने के बाद रात आठ बजे सेक्टर पांच स्थित अपने आवास के पास पुस्तकालय मैदान के निकट टहल रही थी.
इसी दौरान टेंपो पर सवार दो युवकों ने मुंह दबा कर उसका अपहरण कर लिया. टेंपो से मोनिका को चास के भर्रा बस्ती स्थित एक सुनसान मैदान में ले जाया गया. यहां मैदान में बने के पुराने कमरा में मोनिका को रख कर टेंपो सवार दोनों युवकों ने दुष्कर्म किया.
बगल में ही एक शादी समारोह चल रहा था. वहां से निकलने वाले कुछ लोगों को इस बात की भनक मिल गयी. इसके बाद एक के बाद एक 22 दरिंदों ने मोनिका के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया. जब मोनिका बेसुध हो गयी तो उसे मरा हुआ समझ कर सभी लोग वहां से भाग गये. सुबह चार बजे मोनिका को होश आया.
भर्रा की एक महिला ने दी थी शरण
मोनिका नग्न अवस्था में घटना स्थल से कुछ दूरी पर एक आवास में जाकर दरवाजा खटखटायी. दरवाजा खोलने वाली महिला मोनिका को लेकर घर के अंदर गयी. मोनिका के पूरे शरीर में जख्म के निशान थे.
वह केवल अपना पिता का नाम व पता बता सकी थी. महिला ने अपने पुत्र को मोनिका के घर भेजा. मोनिका के पिता को जब इस बात की जानकारी मिली तो वह भर्रा बस्ती पहुंचे. गंभीर रूप से जख्मी मोनिका को बीजीएच के सीसीयू वार्ड में भरती कराया गया था.
इसके पूर्व मोनिका का पूरा परिवार रात भर उसे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड व चास-बोकारो के विभिन्न होटल में ढूंढ़ता रहा. सामूहिक दुष्कर्म की शिकार होने के बाद मोनिका को सेफ्टीसेमिया नामक गंभीर बीमारी हो गयी थी. कई वर्ष इलाज चलने के बाद उसकी मौत हो गयी थी. दुष्कर्म के दौरान दरिंदों ने मोनिका के गुप्तांग में बोतल व अन्य घातक सामान भी डाल दिया था. इस कारण उसकी हालत काफी नाजुक हो गयी थी.
पांच वर्ष बाद 21 मुजरिमों को मिली थी सजा
घटना के पांच वर्षो के बाद अपर जिला व सत्र न्यायाधीश प्रथम महेंद्र झा की अदालत ने 21 मुजरिमों को 30 मई, 2004 को दोषी करार दिया था. 22 मई, 2004 को न्यायाधीश ने सभी मुजरिमों को सामूहिक बलात्कार की इस घटना में आजीवन सश्रम कारावास, 20 हजार व पांच हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी थी.
जुर्माना की राशि जमा नहीं करने पर मुजरिमों को एक वर्ष अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा दी गयी थी. इस मामले में अपर लोक अभियोजक राकेश कुमार राय (आरके राय) ने न्यायालय में मोनिका की तरफ से साक्ष्य व गवाह प्रस्तुत किया था.
इन मुजरिमों को मिली थी सजा
सामूहिक दुष्कर्म की इस घटना में जिन 21 मुजरिमों को स्थानीय सेशन न्यायालय ने सजा सुनायी थी, उनमें चास की भर्रा बस्ती निवासी यूनीस अंसारी (40 वर्ष), मोजीब अंसारी (30 वर्ष), सयूम अंसारी (25 वर्ष), काजी रिजवान (26 वर्ष), मोमिन अख्तर (39 वर्ष), प्रमोद पिल्लई (27 वर्ष), अब्बास अंसारी (41 वर्ष), नूर आलम (33 वर्ष), अनवर अंसारी (46 वर्ष), गफार अंसारी (28 वर्ष), मो तालीब अंसारी (48 वर्ष), सिराजुद्दीन अंसारी (42 वर्ष), फिरोज शाह (25 वर्ष), अब्दुल सत्तार (45 वर्ष), हबीब अंसारी (34 वर्ष), इस्लाम अंसारी (32 वर्ष), मंसूर अंसारी (50 वर्ष), शब्बीर साह (22 वर्ष), बिरजू साह (40 वर्ष), इकबाल साह (20 वर्ष) व मनी स्वामी (30 वर्ष) शामिल थे.
घटना के बाद इस मामले का एक मुजरिम चास के भर्रा बस्ती निवासी खादिम हुसैन फरार हो गया था. खादिम के न्यायालय में प्रस्तुत होने के बाद 10 सितंबर 2012 को आजीवन सश्रम कारावास की सजा दी गयी थी.

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