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अनुमंडल अस्पताल में तीन दिन में 22 डिहाइड्रेशन के मरीज दाखिल

गरमी का इफेक्ट : सदर व अनुमंडल अस्पताल में पहुंचने लगे हैं डिहाइड्रेशन के मरीज

बोकारो.

गरमी का साइड इफेक्ट सरकारी व निजी अस्पतालों में दिखने लगा है. अस्पतालों में लू व डिहाइड्रेशन के मरीज लगातार पहुंच रहे हैं. कैंप दो सदर अस्पताल में रोजाना लगभग साढ़े छह सौ मरीजों की जांच होती है. फिलहाल रोजाना 40 से 50 मरीज लू लगने की शिकायत लेकर अस्पताल आ रहे हैं. इसमें 10 से 12 मरीज डिहाइड्रेशन के होते हैं. अधिक परेशानी वाले मरीजों को स्लाइन चढ़ा कर दूसरे दिन छोड़ा जा रहा है. सदर उपाधीक्षक डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में जीवनरक्षक सभी दवा उपलब्ध है. चास अनुमंडल अस्पताल में तीन दिनों में 22 से अधिक मरीज डिहाइड्रेशन की शिकायत लेकर पहुंचे. सभी का इलाज कर रिलीज किया गया. इधर, निजी अस्पतालों में भी डिहाइड्रेशन के मरीज आ रहे हैं.

गरमी को देखते हुए सेंट्रल टीम का गठन :

सिविल सर्जन डॉ दिनेश कुमार के अनुसार गरमी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तैयारी कर रखी है. सभी सरकारी व निजी अस्पतालों को अलर्ट मोड में रखा गया है. सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में ओआरएस, स्लाइन सहित जीवन रक्षक दवा उपलब्ध है. एक सेंट्रल टीम का गठन किया गया है. टीम में शामिल चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी सातों दिन 24 घंटे के मोड में काम करेंगे. इसके अलावा सभी एमओआइसी को अधिक परेशानी वाले मरीजों को सदर अस्पताल में तुरंत रेफर करने की हिदायत भी दी गयी है. क्षेत्र में लगातार निगरानी करने की हिदायत भी दी गयी है, ताकि किसी तरह की परेशानी नहीं हो.

डॉ रणधीर कुमार सिंह( प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, इएसआइसी अस्पताल, बोकारो) :

लगातार बढ़ रहा तापमान शरीर के लिए हानिकारक है. शरीर से लगातार पसीने के रूप में पानी निकलते रहता है. शरीर में पानी की कमी के कारण कई तरह की परेशानी होती है. तेज गरमी के कारण लू लगने की शिकायत लगातार हो रही है. ऐसे में मरीज के सिर में तेज दर्द, शरीर में जकड़न महसूस, त्वचा पर लाल निशान बनना, स्वास्थ्य में दिक्कत का महसूस होना, पेशाब में परेशानी महसूस होने की परेशानी हो रही है. ऐसे में मरीज को तुरंत चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए.

डॉ मनोज श्रीवास्तव( शिशु रोग विशेषज्ञ, मुस्कान अस्पताल चास) :

शिशु में पसीने की ग्रंथियां पूरी तरह से विकसित नहीं होती हैं. इस कारण पता करना मुश्किल होता है कि बच्चे को कब गरमी लग रही है. ऐसी स्थिति में नजर रखने की जरूरत है. बच्चा सुस्त या चिड़चिड़ा हो रहा हो. स्किन सामान्य से अधिक रूखी लग रही हो. बच्चा दूध पीना छोड़ रहा हो. यह सब लक्षण अधिक डिहाइड्रेशन का संकेत है. बच्चे के शरीर में पानी की कमी के कारण गंभीर स्थिति बन जाती है. जो जानलेवा साबित होती है. बच्चे पेशाब करना बंद कर दें, तो तुरंत चिकित्सक से मिलें.

डॉ अनन्या प्रसाद(को-ऑपरेटिव कॉलोनी, बोकारो) :

गरमी के मौसम में दिन की हो सके तो शुरुआत फल से करें. आम, खीरा, ककड़ी, चीकू, आड़ू, तरबूज, तरबूज या नारंगी अच्छे विकल्प हो सकते हैं. प्याज व खीरा सलाद के रूप में खायें. यह शरीर के तापमान को नियंत्रण में रखेगा. शरीर में पानी की कमी न होने दें. एक दिन में कम से कम आठ से 10 गिलास पानी पीये. छाछ, लस्सी, बेल या सत्तू का शर्बत फायदेमंद होता है. भोजन में स्वच्छता का ध्यान रखें. तला व भूना खाद्य पदार्थ का उपयोग करनें से बचे. खुले में रखे भोजन के प्रयोग से परहेज करें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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