महुआटांड़ : बीते कार्तिक पूर्णिमा पर लुगुबुरु में आयोजित 18वें अंतरराष्ट्रीय सरना महाधर्म सम्मेलन के शांतिपूर्ण व ऐतिहासिक रूप से सफल आयोजन संपन्न होने तथा देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालुओं के सकुशल वापसी पर दोरबार चट्टानी स्थित पुनाय थान में समिति ने विशेष अनुष्ठान कर सर्वप्रथम मरांग बुरु, लुगुबुरु, लुगु आयो और फिर अन्य देवी-देवताओं की आराधना की.
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आराध्य देवी-देवताओं को फल-फूल अर्पित कर नारियल फोड़ा गया व दीप-अगरबत्ती दिखायी गयी. अनुष्ठान संपन्न होने के बाद चाकुलिया (पूर्वी सिंहभूम) निवासी श्रद्धालु साहेबराम किस्कू, जिनकी मौत हो गयी थी. एक मिनट का मौन धारण कर लुगुबुरु से उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना भी की गयी.
विदित हो कि हर वर्ष पुनाय थान में सम्मेलन के पूर्व सफल आयोजन व श्रद्धालुओं के सकुशल आगमन व वापसी को विशेष अनुष्ठान कर मन्नत मांगी जाती है. फिर पूर्ण होने पर पुनः विशेष अनुष्ठान किया जाता है. कई नायके और मांझी हड़ाम ने अनुष्ठान संपन्न किया.
मौके पर अध्यक्ष बबुली सोरेन, उपसचिव मिथिलेश किस्कू, मेघराय मुर्मू, कालिदास मार्डी, किशुन मुर्मू, मंझला मांझी, फेनीराम सोरेन, जोलो, सोनाराम, लालजी मार्डी, लालदेव सोरेन, ब्रजलाल, रॉयल हांसदा, कौलेश्वर बास्के, कौलेश्वर मुर्मू, बुधन सोरेन, महेश मरांडी, तालो देवी, आशा कुमारी, सीता देवी, विरासो देवी, जोलोमुनी देवी, मेहंती देवी, चांदमुनी देवी, सोहामुनी देवी, बुधनी देवी, किरण देवी, उर्मिला देवी, बहामुनी हांसदा, नीलू देवी, पानमती देवी आदि थीं.