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बोकारो : हिंदी की अहमियत समझते थे अटल बिहारी वाजपेयी

बोकारो : आपका एक जून 1993 का पोस्टकार्ड मिला, धन्यवाद. मैं आपसे सहमत हूं कि हिंदी प्रदेश के डाक घरों में हिंदी में ही काम होना चाहिए. मैं आपका पत्र उचित कार्यवाही के लिए संसदीय राजभाषा समिति को भेज रहा हूं… इस आशय का पोस्टकार्ड पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने 02 जुलाई 1993 […]

बोकारो : आपका एक जून 1993 का पोस्टकार्ड मिला, धन्यवाद. मैं आपसे सहमत हूं कि हिंदी प्रदेश के डाक घरों में हिंदी में ही काम होना चाहिए. मैं आपका पत्र उचित कार्यवाही के लिए संसदीय राजभाषा समिति को भेज रहा हूं… इस आशय का पोस्टकार्ड पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने 02 जुलाई 1993 को बोकारो के हर किशन लाल के पोस्टकार्ड के जवाब में लिखा था. आज 14 सितंबर हिंदी दिवस है. ऐसे में वाजपेयी के इस पोस्टकार्ड की चर्चा लाजिमी है.

क्या था मामला : सेक्टर-6 ए, आवास संख्या 1187 निवासी बीएसएल के एजीएम-ट्रैफिक पद से अवकाश प्राप्त कर्मी हर किशन लाल ने वर्ष 1993 में सेक्टर-02 स्थित मुख्य डाकघर बोकारो स्टील सिटी से एक रजिस्ट्री पत्र भेजा था. पता हिंदी में ‘श्रीमान अध्यक्ष महोदय…नयी दिल्ली लिखा था. डाकघर के क्लर्क ने हाथ से लिखी गयी रसीद पर अंगरेजी में ‘चेयरमैन…न्यू दिल्ली’ लिखा था. शिकायत पर पोस्टमास्टर ने कहा : क्या फर्क पड़ता है? यह बात श्री लाल को अच्छी नहीं लगी. श्री लाल ने हिंदी के प्रसार-प्रचार के लिए समूचे देश में भारत सरकार की ओर से मनोनीत प्रमुख लोकसभा के सदस्य प्रमुख वक्ता अटल बिहारी वाजपेयी जी को पोस्टकार्ड लिखकर सारी घटना की जानकारी प्राप्त करायी. स्व. वाजपेयी ने श्री लाल के पत्र का जवाब लिखा. कार्यवाही की बात लिखी. परिणाम यह हुआ कि लगभग 20 दिनों के बाद पोस्टमास्टर श्री लाल के घर पहुंचे और अंग्रेजी में प्राप्त करायी गयी रसीद के लिए खेद प्रकट किया.

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