पहली बार प्राथमिक से लेकर उच्च विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति
शिक्षक नियुक्ति में उम्र सीमा बढ़ाने की मांग
नियुक्ति की आस में गुजर गयी हजारों बेरोजगारों की उम्र
रांची : राज्य में पहली बार प्राथमिक से लेकर उच्च विद्यालयों तक में शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू है. प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक से पांच तक में शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू है.
कक्षा छह से आठ में नियुक्ति की प्रक्रिया अगस्त में शुरू होगी. राजकीयकृत उच्च विद्यालयों में 1739 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के लिए प्रस्ताव कार्मिक विभाग को भेज दिया गया है. प्लस टू उच्च विद्यालय में 513 शिक्षकों की नियुक्ति का रोस्टर क्लियर हो गया है.
राज्य के अपग्रेड उच्च विद्यालयों में लगभग दस हजार शिक्षकों की नियुक्ति के लिए रोस्टर क्लियर करने का प्रस्ताव कार्मिक विभाग को भेजा गया है. नियुक्ति प्रक्रिया देर से शुरू होने के कारण राज्य के हजारों अभ्यर्थियों की उम्र गुजर गयी है. नियुक्ति की आस लगाये ऐसे अभ्यर्थी अब इसके लिए उम्र सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
बेरोजगार अभ्यर्थियों ने प्रभात खबर को भेजी अपनी पीड़ा
उम्र में दस वर्ष की छूट दी जाये
बिहार से अलग होने के बाद झारखंड के बेरोजगारों में नियुक्ति की उम्मीद जगी थी. राज्य गठन के बाद से हजारों की संख्या में विद्यार्थियों ने बीएड की डिग्री हासिल की. पर शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने के कारण उम्र गुजर गयी.
राज्य में पूर्व में हुई माध्यमिक शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में सामान्य वर्ग के लिए 45, पिछड़ा के 47 व एससी-एसटी के लिए 50 वर्ष उम्र सीमा निर्धारित की गयी थी. इस वर्ष हुई शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में उम्र सीमा में पांच वर्ष की छूट दी गयी. बिहार की तरह यहां भी शिक्षक नियुक्ति की उम्र सीमा में दस वर्ष की छूट दी जाये.
जीवन चंद्र आजाद, रामगढ़
झारखंड बोर्ड के विद्यार्थी को परेशानी
शिक्षक नियुक्ति के लिए मेधा अंक के निर्धारण में मैट्रिक व इंटर का अंक भी जोड़ा जा रहा है. इसमें सीबीएसइ व आइसीएसइ बोर्ड के विद्यार्थियों के अंक को सामान माना गया है. ऐसे में झारखंड बोर्ड से 10वीं व 12वीं पास विद्यार्थियों को काफी परेशानी होगी. झारखंड बोर्ड में सीबीएसइ व आइसीएसइ बोर्ड की तुलना में कम अंक प्राप्त होते हैं.
झारखंड बोर्ड के माध्यम से परीक्षा में शामिल होने वाले अधिकांश विद्यार्थी ग्रामीण क्षेत्रों के होते है. वर्तमान नियुक्ति नियामवली में उनकी नियुक्ति मुश्किल होगी.
नीरज यादव, रांची
उम्र गुजर गयी, नहीं मिली नौकरी
नौकरी की आस में उम्र में गुजर गयी पर नौकरी नहीं मिली. झारखंड गठन के बाद प्राथमिक विद्यालयों में मात्र दो बार शिक्षकों की नियुक्ति हुई. वर्ष 2007-08 में हुई नियुक्ति में मात्र 491 शिक्षकों की ही नियुक्ति हुई.
वर्ष 2001-02 में बीएड पास विद्यार्थियों की नियुक्ति की गयी, पर इसमें वरीयता की अनदेखी की गयी. इस कारण बीएड पास हजारों विद्यार्थी नियुक्ति से वंचित रह गये. वर्ष 2013 में शिक्षक पात्रता परीक्षा ली गयी. मैंने वर्ष 1984 में मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. नियुक्ति के इंतजार में उम्र गुजर गयी. अब तो निर्धारित उम्र सीमा बीत गयी है.
गायत्री देवी, गुमला
इस नुकसान की कौन करेगा भरपाई
मैं चांदू सुंडी चक्रधरपुर की निवासी हूं. मैं गरीब परिवार से हूं. बचपन में ही माता-पिता का साया उठ गया. मैं विकलांग भी हूं. पढ़ाई करने के बाद शिक्षक प्रशिक्षण की परीक्षा पास की. अब नियुक्ति की उम्र पार हो गयी. अपनी जीविका चलाने के लिए पांच-दस बच्चों को पढ़ाती हूं.
किसी तरह जीवन निर्वाह कर रही हूं. आज समाज में विकलांग को मुख्यधारा से जोड़ने की बात कही जाती है. हमसे जो कोई मिलता है, तो बस यही कहता है कि तुम्हें तो नौकरी मिलनी ही चाहिए. मैं अंदर ही अंदर आंसू पी कर रह जाती हूं. मैंने अपने को इस अनुरूप तैयार किया था कि अपने पैरों पर खड़ी हो सकूं. आज तक मुझे नौकरी नहीं मिली. इसके लिए दोषी कौन है.
राज्य में कई सरकारें बदली पर स्थिति नहीं बदली. आज जब मैं यह पत्र लिख रही हूं तो जीवन के एक -एक कष्ट, संघर्ष व दुख सामने नजर आ रहे हैं. समङिाए यह मेरे जीवन की एक दुर्घटना है. कोई दुर्घटना होने पर सरकार उसकी भरपायी करती है, क्या इस दुर्घटना की भरपायी करेगी.
चांदू सुंडी, चक्रधरपुर
नियुक्ति का इंतजार कर रही हूं
मैं वर्ष 1988 में प्रथम श्रेणी से शिक्षक प्रशिक्षण परीक्षा पास की. इसके बाद से नियुक्ति का इंतजार कर रही हूं. वर्ष 2013 में शिक्षक पात्रता परीक्षा पास की. टेट में सफल होने के बाद शिक्षक बनने की आशा जगी. पर सरकार द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने में विलंब के कारण उम्र 43 वर्ष से अधिक हो गयी.
मैं नियुक्ति परीक्षा में शामिल नहीं हो पायी. सरकार शिक्षक नियुक्ति की उम्र सीमा में छूट दे. जिससे अधिक से अधिक टेट पास अभ्यर्थी शिक्षक नियुक्ति में शामिल हो सके.
अर्चना कुमारी, धनबाद
नियुक्ति की उम्र सीमा बढ़ाये सरकार
शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ष 2012 में हुई. परीक्षा के समय उम्र शिक्षक नियुक्ति के लिए निर्धारित उम्र सीमा के अंदर थी. पर समय पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं होने के कारण जब शिक्षक नियुक्ति शुरू हुई तो उम्र बीत गयी. इस कारण योग्यता होने के बावजूद शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में शामिल नहीं हो पाया. सरकार शिक्षक नियुक्ति की उम्र सीमा बढ़ाये.
रवींद्रनाथ साह, गोड्डा
डिग्री लेकर बैठा हूं
सरकारी नौकरी की चाह में उम्र गुजर गयी है. एमए, बीएड, नेट, जेटेट पास करने के बाद भी प्राथमिक विद्यालय तक में शिक्षक की नौकरी नहीं मिली. झारखंड गठन के समय यह आशा जगी थी कि रोजगार मिल जायेगा. पर किसी सरकार ने अब तक बेरोजगारों को रोजगार नहीं दी. वर्तमान सरकार विधानसभा चुनाव से पहले नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करे.
राजेश कुमार, कोकर
लापरवाही से नहीं मिली नौकरी
सरकार की लापरवाही के कारण राज्य में हजारों बेरोजगार अभ्यर्थी योग्यता होने के बावजूद नियुक्ति से वंचित हो रहे हैं. सरकार द्वारा समय पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं की गयी. इस कारण उम्र गुजर गयी. मैं शिक्षा विभाग से संबंधित नियुक्ति का इंतजार करता रहा. पर समय पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं होने से नौकरी नहीं मिल पायी.
महबूब आलम, रांची
युवाओं की आशाओं
पर फेरा पानी
राज्य के हजारों युवाओं ने राज्य गठन के समय बेहतर भविष्य का सपना देखा था. पर गत 13 वर्षो में यहां की सरकार की नीतियों और भ्रष्टाचार के कारण बेरोजगारों को निराशा हाथ लगी. जेपीएससी के माध्यम से हुई अधिकांश नियुक्ति में भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा.
हमारे माता-पिता को हमसे काफी अपेक्षाएं थीं. सरकार की गलत नीति व नियुक्ति करने वाली संस्थाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण हम अपने माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाये. समाज में उपहास भी झे लना पड़ रहा है.
पंकज पीयूष, देवघर
नियुक्ति नियमावली सही नहीं
राज्य में नियुक्ति नियमावली में बार-बार बदलाव किया गया है. इससे भी काफी परेशानी होती है. इसके कारण ही प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति के बावजूद आधी से अधिक सीटें रिक्त रहने की संभावना है. शिक्षक पात्रता परीक्षा पास एक अभ्यर्थी को एक से अधिक जिलों में आवेदन करने की अनुमति दी गयी है.
ऐसे में एक अभ्यर्थी का चयन एक से अधिक जिलों में हो रहा है. जबकि चयनित अभ्यर्थी एक ही जिला में योगदान देगा. इस कारण आधे से अधिक पद रिक्त रह जायेंगे. इससे पहले भी गलत नियमावली के कारण सीटें रिक्त रह गयी थी.
सुधीर कुमार पासवान, गिरिडीह

