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राज्य बनने के 15 वर्ष पूर्व से रहनेवाले झारखंडी

रांची: झारखंड में स्थानीय नीति का ड्राफ्ट लगभग तैयार हो गया है. इसे 11 जून को अंतिम रूप देकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सौंप दिया जायेगा. स्थानीय नीति तय करने के लिए गठित कमेटी ने कई बिंदुओं पर सहमति बना ली है. राज्य में मूलवासी और झारखंडी दो अलग-अलग मापदंड तय किये गये हैं. राज्य […]

रांची: झारखंड में स्थानीय नीति का ड्राफ्ट लगभग तैयार हो गया है. इसे 11 जून को अंतिम रूप देकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सौंप दिया जायेगा. स्थानीय नीति तय करने के लिए गठित कमेटी ने कई बिंदुओं पर सहमति बना ली है.

राज्य में मूलवासी और झारखंडी दो अलग-अलग मापदंड तय किये गये हैं. राज्य गठन से 15 वर्ष पूर्व से झारखंड में रहनेवाले लोगों की पहचान झारखंडी के रूप में करने की लगभग सहमति बन गयी है. वहीं, मूलवासी की पहचान के लिए अंतिम सर्वे सेटलमेंट में जिसका नाम खतियान में है, उसे ही आधार माना जायेगा. जिस मूलवासी के पास खतियान नहीं है, उसकी बेसिक शिक्षा (सातवीं या मैट्रिक की परीक्षा) को आधार बनाया जायेगा. बुधवार को हुई कमेटी की बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि ग्रामसभा से सत्यापित व्यक्ति को भी मूलवासी माना जायेगा.

अनुसूचित क्षेत्र में बाहरी को नौकरी नहीं
स्थानीय नीति के ड्राफ्ट के अनुसार, झारखंड के मूलवासी को तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरी में प्राथमिकता दी जायेगी. कमेटी ने तृतीय और चतुर्थ वर्ग के पद पर बहाली जिला स्तर पर लिये जाने की अनुशंसा की है. इसके अलावा शिक्षकों की नियुक्ति भी जिला स्तर पर करने का फैसला लिया गया है. राज्य के 112 अनुसूचित क्षेत्र में नौकरियां आरक्षित होंगी. यहां बाहरी लोगों को नौकरी नहीं मिल सकेगी.

लोगों से मांगी जायेगी राय
सीएम को ड्राफ्ट सौंपे जाने के बाद सरकार समय सीमा के अंदर इस पर आम लोगों से राय भी आमंत्रित कर सकती है. इसके बाद सरकार सर्वदलीय बैठक बुला कर इस पर सहमति बनाने की कोशिश करेगी. ड्रॉफ्ट पर सहमति बनाने के बाद इसे कैबिनेट से पास कराया जा सकता है. इसके साथ ही इस पर विधानसभा की सहमति ली जायेगी. इसके बाद स्थानीय नीति लागू कर दी जायेगी.

विशेषज्ञों से ली है राय
प्रोजेक्ट भवन में आयोजित बैठक के बाद कमेटी के सदस्य व मंत्री राजेंद्र सिंह ने पत्रकारों से कहा : समिति 11 जून को मुख्यमंत्री को प्रारूप सौंप देगी. इसके बाद सभी प्रमुख दलों के अध्यक्ष व अन्य के साथ सर्वदलीय बैठक की जायेगी. राज्य सरकार सर्वसम्मति से नीति को अंतिम रूप देना चाहती है. सरकार ने इसके लिए महाधिवक्ता समेत अन्य विधि विशेषज्ञों से राय भी ली है.

तकनीकी अड़चनों को दूर किया जा रहा है : बंधु
विधायक बंधु तिर्की ने कहा : मूलवासियों के अधिकार का हनन नहीं होने दिया जायेगा. झारखंड के पांच प्रमंडलों में भाषा की भिन्नता है. ऐसे में लोगों की समस्याएं भी अलग-अलग हैं. इसे समिति की ओर से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. तकनीकी अड़चनों को भी दूर किया जा रहा है.

गीताश्री और बंधु कट ऑफ डेट राज्य गठन से 20 वर्ष पहले करने पर अड़े
बैठक में गीताश्री उरांव और बंधु तिर्की झारखंडी के लिए कट ऑफ डेट राज्य गठन से 20 वर्ष पहले करने पर अड़े थे. इस पर कुछ सदस्यों का कहना था कि छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड ने भी इसकी तरह ही मान्यता दी है. 15 वर्ष पर्याप्त है. सदस्यों ने कहा कि स्थानीय नीति इस तरह की हो, जिससे मूलवासी के साथ नाइंसाफी ना हो.

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