32.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

अहमदाबाद 2008 धमाका : अदालत ने फैसले में कहा, ’38 दोषियों को छोड़ने का मतलब आमखोर तेंदुए को खुला छोड़ना’

बताते चलें कि अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत ने आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के 38 सदस्यों को शुक्रवार को मौत की सजा सुनाई. इसी मामले में अदालत ने 11 अन्य को मौत होने तक उम्रकैद की सुजा सुनाई.

अहमदाबाद : गुजरात की एक विशेष अदालत ने अहमदाबाद में 26 जुलाई, 2008 को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले पर अपने फैसले में कहा है कि इस मामले के 38 दोषी मौत की सजा के लायक हैं, क्योंकि ऐसे लोगों को समाज में रहने की अनुमति देना निर्दोष लोगों को खाने वाले ‘आदमखोर तेंदुए’ को खुला छोड़ने के समान है. अदालत के इस फैसले की कॉपी शनिवार को वेबसाइट पर उपलब्ध हुई. अदालत ने कहा कि उसकी राय में इन दोषियों को मौत की सजा देना ही उचित होगा, क्योंकि यह मामला ‘अत्यंत दुर्लभ’ की श्रेणी में आता है.

धमाके में 56 लोगों की हो गई थी मौत

बताते चलें कि अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत ने आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के 38 सदस्यों को शुक्रवार को मौत की सजा सुनाई. इसी मामले में अदालत ने 11 अन्य को मौत होने तक उम्रकैद की सुजा सुनाई. इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक अन्य घायल हो गए थे. यह पहली बार है, जब किसी अदालत ने इतने दोषियों को मौत की सजा एक साथ सुनाई है.

दोषियों को न्यायपालिका पर भरोसा नहीं

विशेष न्यायाधीश एआर पटेल ने अपने आदेश में कहा, ‘दोषियों ने एक शांतिपूर्ण समाज में अशांति उत्पन्न की और यहां रहते हुए राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया. उनके मन में संवैधानिक तरीके से चुनी गई केंद्र और गुजरात सरकार के प्रति कोई सम्मान नहीं है और इनमें से कुछ सरकार और न्यायपालिका में नहीं, बल्कि केवल अल्लाह पर भरोसा करते हैं.’

जिंदा रखने का मतलब तेंदुए को खुला छोड़ना

विशेष न्यायाधीश एआर पटेल ने अपने आदेश में आगे कहा कि सरकार को खासकर उन दोषियों को जेल में रखने की कोई आवश्यकता नहीं है, जिन्होंने कहा है कि वे अपने ईश्वर के अलावा किसी पर विश्वास नहीं करते. उन्होंने कहा कि देश की कोई भी जेल, उन्हें हमेशा के लिए जेल में नहीं रख सकती. न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि यदि इस प्रकार के लोगों को समाज में रहने की अनुमति दी जाती है, तो यह एक आदमखोर तेंदुए को लोगों के बीच छोड़ने के समान होगा. इस प्रकार के दोषी ऐसे आदमखोर तेंदुए की तरह होते हैं, जो बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों, महिलाओं, पुरुषों और नवजात समेत समाज के निर्दोष लोगों और विभिन्न जातियों एवं समुदायों के लोगों को खा जाता है.

11 को आजीवन कारावास

अभियोजन ने विस्फोट का षड्यंत्र रचने वालों और बम लगाने वालों समेत मामले के सभी 49 दोषियों को मौत की सजा सुनाए जाने का अनुरोध किया था. अदालत ने 38 दोषियों के बारे में कहा कि इस प्रकार की आतंकवादी गतिविधियां करने वाले लोगों के लिए मृत्युदंड ही एक मात्र विकल्प है, ताकि शांति स्थापित रखी जा सके और देश एवं उसके लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. अदालत ने 11 अन्य दोषियों को मौत होने तक कारावास की सजा देते हुए कहा कि उनका अपराध मुख्य षड्यंत्रकारियों की तुलना में कम गंभीर था.

Also Read: 2008 के अहमदाबाद बम ब्लास्ट मामले में 38 दोषियों को फांसी की सजा, 11 को आजीवन कारावास
जिंदा रहने पर अपराधियों की करेंगे मदद

38 दोषियों को मौत की सजा देने को लेकर अदालत ने कहा कि यदि उन्हें मौत होने तक कारावास में रखे जाने से कम सजा दी जाती है, तो ये दोषी फिर से इसी प्रकार के अपराध करेंगे और अन्य अपराधियों की भी मदद करेंगे. यह निश्चित है. कुछ दोषियों ने दलील दी थी कि उन्हें मुसलमान होने के कारण निशाना बनाया जा रहा है. इसके जवाब में अदालत ने कहा कि वह इस बात को स्वीकार नहीं कर सकती, क्योंकि भारत में करोड़ों मुसलमान कानून का पालन करने वाले नागरिकों के तौर पर रह रहे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें