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जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहीं योजनाएं

असुविधा. बड़ी आबादी की कल्याणकारी योजनाओं से जुड़ने की आस अधूरी, हर जगह बिचौलियों का बोलबाला सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में अन्नपूर्णा योजना, अंत्योदय अन्न योजना, वृद्धावस्था पेंशन योजना, विधवा पेंशन योजना, नि:शक्तता सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना आदि योजनाओं पर बिचौलिये हावी हैं. लूट-खसोट के चलते इन योजनाओं का लाभ […]

असुविधा. बड़ी आबादी की कल्याणकारी योजनाओं से जुड़ने की आस अधूरी, हर जगह बिचौलियों का बोलबाला

सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में अन्नपूर्णा योजना, अंत्योदय अन्न योजना, वृद्धावस्था पेंशन योजना, विधवा पेंशन योजना, नि:शक्तता सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना आदि योजनाओं पर बिचौलिये हावी हैं.
लूट-खसोट के चलते इन योजनाओं का लाभ जिले के गरीब परिवारों कों नहीं मिल पा रहा. जानकारों का कहना है कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मत्स्यपालन, पशुपालन एवं बागवानी को प्रोत्साहन देकर गरीब किसानों की माली हालत में सुधार लाया जा सकता है.
हाजीपुर : वैशाली जिले में सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं दम तोड़ रही हैं. विकास से वंचित पिछड़ी आबादी को विकास की मुख्यधारा में लाकर उनके जीवन स्तर को उठाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा चलायी जा रहीं कल्याणकारी योजनाएं आज भी लाभुकों की पहुंच से दूर हैं. भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहीं इन योजनाओं का लाभ उन लोगों तक, जिनके लिए ये लागू की गयी हैं, पहुंचने के बजाय कुछ अफसरों, जनप्रतिनिधियों और बिचौलियों की तिकड़ी में फंस कर रह जा रही है.
सरकार द्वारा स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पर्यावरण, बाल विकास, महिला सशक्तीकरण, रोजगार और आजीविका आदि के क्षेत्र में चलायी जा रहीं कल्याणकारी योजनाओं का लाभ यदि वास्तविक हकदारों तक पहुंचता, तो जिले की 93 प्रतिशत ग्रामीण आबादी की सूरत बदल सकती थी. उदाहरण के तौर पर यहां कुछ चुनिंदा योजनाओं का जिक्र कर रहे हैं, जिन्हें पारदर्शिता के साथ लागू किया जाये, तो जिले के सुदूर गांवों के ऐसे अनगिनत घरों में कुछ रोशनी आ सकती है,
जहां आज तक अंधेरा पसरा हुआ है.
सबला कार्यक्रम : समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित इस योजना को राज्य के जिन 12 जिलों में चलाया जा रहा है, उनमें वैशाली जिला भी शामिल है. सबला कार्यक्रम किशोरी बालिकाओं के सशक्तीकरण के लिए है. इसके तहत किशोरी बालिकाओं को स्वाबलंबी बनाने के साथ-साथ उन्हें पूरक पोषाहार भी प्रदान किया जाना है. पूरक पोषाहार किशोरी बालिका के लिए प्रतिदिन पांच रुपये निर्धारित है. अफसोस कि बालिकाएं इस लाभ से वंचित हैं.
मुख्यमंत्री नारी ज्योति कार्यक्रम : महादलित समाज की महिलाओं के उत्थान में यह योजना काफी मददगार साबित हो सकती है. महादलित महिलाओं का स्वयं सहायता समूह गठित कर उन्हें आर्थिक रूप से सबल बनाना ही इस योजना का मुख्य उद्देश्य है. पशुपालन विभाग के माध्यम से राज्य के छह जिलों में इस योजना के तहत मुरगी ग्राम योजना को क्रियान्वित किया जा रहा है. इनमें वैशाली के अलावा पटना, गया, नालंदा, जहानाबाद एवं भोजपुर जिला शामिल है.
इस योजना के जरिये लाभान्वित परिवारों को जीविकोपार्जन के साथ ही कुपोषण की समस्या से भी निजात दिलाने का लक्ष्य है. पशुपालन विभाग द्वारा इस योजना का क्रियान्वयन बिहार महादलित विकास मिशन के समन्वय से किया जा रहा है. जिले की महादलित महिलाओं तक इसका लाभ नहीं पहुंच पा रहा है.
इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना : यह योजना राज्य के दो जिलों वैशाली और सहरसा में लागू की गयी हैं. इस योजना के तहत गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं को चार हजार नकद तीन किस्तों में दिये जाने का प्रावधान है. उक्त राशि का वहन केंद्र सरकार करती है. इस योजना का लाभ भी जिले में शायद ही लाभुकों तक पहुंच पाता है. इसके अलावा आर्थिक सशक्तीकरण की योजनाओं में मनरेगा, कृषि विकास योजना, पशु एवं मत्स्य पालन आदि अनेक योजनाएं ग्रामीणों तक आज भी सही ढंग से नहीं पहुंच पा रही हैं.
बिचौलिये हावी हैं योजनाओं पर : सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में अन्नपूर्णा योजना, अंत्योदय अन्न योजना, वृद्धावस्था पेंशन योजना, विधवा पेंशन योजना, नि:शक्तता सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना आदि योजनाओं पर बिचौलिए हावी हैं लूट-खसोट के चलते इन योजनाओं का लाभ जिले के गरीब परिवारों को नहीं मिल पा रहा है. जानकारों का कहना है कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मत्स्यपालन, पशुपालन एवं बागवानी को प्रोत्साहन देकर गरीब किसानों की माली हालत में सुधार लाया जा सकता है.
सामाजिक कार्यकर्ता गणेश राय, सुजीत कुमार शर्मा, जयशंकर प्रसाद आदि का कहना है कि सरकार की योजनाओं का लाभ वास्तविक लाभुकों तक ठीक से पहुंचे, इसके लिए प्रशासन को स्थानीय स्तर पर पारदर्शी बनाना होगा. इसके साथ ही पंचायत राज प्रतिनिधियों को जनता के प्रति जवाबदेह होना होगा और बिचौलिये की भूमिका समाप्त करनी होगी. तभी कल्याणकारी योजना से गरीब लाभान्वित हो सकेंगे और गांव की बदहाली दूर हो सकेगी.

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