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चलो किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाये चेहराकलां : घर से मसजिद है बहुत दूर, कि चलो किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए. ऐसे ही सरल, मृदुभाषी व व्यावहारिक व्यक्ति है सेवानिवृत बीइओ धनुषधारी मांझी की. बीइओ की सेवानिवृति पर आयोजित विदाई सम्मान समारोह में वक्ताओं ने कहीं. उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय करहटिया […]

चलो किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाये

चेहराकलां : घर से मसजिद है बहुत दूर, कि चलो किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए. ऐसे ही सरल, मृदुभाषी व व्यावहारिक व्यक्ति है सेवानिवृत बीइओ धनुषधारी मांझी की. बीइओ की सेवानिवृति पर आयोजित विदाई सम्मान समारोह में वक्ताओं ने कहीं. उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय करहटिया परिसर में आयोजित समारोह में शिक्षकों ने बीइओ पद पर रहते हुए मांझी को बच्चों के लिये अभिभावक बताया.
लोगों में कहा कि बीइओ जब कभी विद्यालय आते तो वे बच्चों से धुलमिल कर उन्हें सहृदयता का पाठ पढ़ाते. यहां तक कि वे स्वयं बच्चों की शर्ट का बटन लगाते और उसकी कॉलर ठीक करते. शिक्षकों ने उनकी बेहतर याद्दाश्त की भी सराहना की. हालांकि चेहराकलां में तीन साल के अपने सेवाकाल के दौरान बीइओ को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. जहां कई गंभीर आरोप भी उन पर लगे. जिससे एक महिला शिक्षिका रिजवाना द्वारा लगाया गया आरोप भी शामिल है.
मौके पर उपस्थित शिक्षक शिक्षिकाओं ने पुष्प माला, कलम, डायरी समेत अनेक सामग्रियों से सम्मानित किया. मौके पर सेवानिवृत हुये बीइओ मांझी की पत्नी द्यामणि देवी, गोरौल के बीइओ सुशील कुमार, निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी, दिलीप कुमार भगत, वासिफ अख्तर, सिराजुल फैजी, अरिदमन, रिंकू कुमारी, नाजनीन सुल्ताना, सब्बिहा अजीजी समेत अनेक शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित थे.
बीइओ की सेवानिवृत्ति पर बही गीत-गजल की रसधार

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