हाजीपुर : जिला पर्षद की योजनाओं में अनियमितता और लगभग 20 करोड़ रुपये के कथित घोटाले के मुद्दे पर जिला पर्षद में महीनों से कायम गतिरोध कब समाप्त होगा, कहना मुश्किल है. जिला पर्षद अध्यक्ष एवं डीडीसी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के बीच महीनों पूर्व छिड़ी पावर की जंग में जिले में विकास की लगभग ढाई सौ योजनाएं दफन होने के कगार पर हैं.
चंद महीने बाद ही नये जिला पार्षद के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी. इन विकास योजनाओं की मियाद दो-ढाई महीने की रह गयी है. आज की तिथि में स्थिति यह है कि जिला पर्षद के कार्यालयों में ताले लटके हैं. उधर डीडीसी ओम प्रकाश यादव का स्थानांतरण हो गया और दूसरी ओर जिला पर्षद के कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल का एक माह होने जा रहा है.
डीएम के आदेश का अनुपालन हो सुनिश्चित: जिला पर्षद कर्मचारी संघ ने तेरहवें वित्त आयोग, बीआरजीएफ एवं चतुर्थ राज्य वित्त आयोग के अंतर्गत जिला पर्षद द्वारा कार्यान्वित की गयी आठ योजनाओं की जांच के लिए डीएम के आदेश को लागू कराने की मांग की है. संघ का कहना है कि उक्त मामलों में अनियमितता की शिकायत पर डीएम ने मामले की जांच के लिए छह सदस्यीय जांच टीम गठित की थी.
जांच दल को सभी बिंदुओं की जांच-पड़ताल कर यथाशीघ्र जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया था. डीएम द्वारा मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के नेतृत्व में गठित जांच दल में अपर समाहर्ता विभागीय जांच, जिला पंचायत राज पदाधिकारी, भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता एवं ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता शामिल थे. बीते साल के 26 अगस्त को डीएम ने आदेश जारी कर जांच दल को यह कार्यभार सौंपा था.
संघ का कहना है कि आदेश के आलोक में जांच की दिशा में आगे बढ़ने की बजाय मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने नियमों को ताक पर रख कर जिला अभियंता समेत अन्य अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई कर दी.