20.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

याद किये गये बाबा नागार्जुन

हाजीपुर : ‘जनता मुझसे पूछ रही है क्या बतलाऊं, जनकवि हूं मैं साफ कहूंगा, क्यों हकलाऊं’. बाबा नागार्जुन की इन पंक्तियों को याद करते हुए वैशाली जनपद के लेखकों- साहित्यकारों ने उस महान जनकवि को उनकी 102 वीं जयंती के अवसर पर शिद्दत से याद किया. साहित्यकारों ने नागार्जुन को सदी का सबसे बड़ा जनकवि […]

हाजीपुर : ‘जनता मुझसे पूछ रही है क्या बतलाऊं, जनकवि हूं मैं साफ कहूंगा, क्यों हकलाऊं’. बाबा नागार्जुन की इन पंक्तियों को याद करते हुए वैशाली जनपद के लेखकों- साहित्यकारों ने उस महान जनकवि को उनकी 102 वीं जयंती के अवसर पर शिद्दत से याद किया. साहित्यकारों ने नागार्जुन को सदी का सबसे बड़ा जनकवि बताते हुए कहा कि जनता के प्रति प्रतिबद्धता के मामले में उनका कोई जोड़ नहीं.

रविवार को उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा करते हुए वरिष्ठ लेखक, समाजशास्त्री और प्रगतिशील लेखक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ ब्रज कुमार पांडेय ने कहा कि नागार्जुन प्रगतिशील चेतना के महान कवि थे. उनकी कृतियां कालजयी हैं. अपनी रचनाओं में आम जन की पीड़ा, दुर्दशा और जीवन संघर्ष को मुखर अभिव्यक्ति देने वाले उस महान कवि ने जनता का सिपाही बन कर शोषक और बेईमान व्यवस्था से आजीवन लोहा लिया.

नागार्जुन के 1950 में सोनपुर और 1970 में हाजीपुर अपने आवास पर आने का संस्मरण सुनाते हुए डॉ पांडेय ने कहा कि वे जन सामान्य के साथ हर परिस्थिति में एक रूप हो जाने वाले शख्स थे.

वरिष्ठ कवि एवं आलोचक शालिग्राम सिंह अशांत ने नागार्जुन को याद करते हुए उन्हें हिंदी साहित्य में कबीर के बाद सबसे बड़ा जनकवि बताया. उन्होंने कहा कि व्यंग्य के मामले में भी कबीर के बाद नागार्जुन ही हैं. नागार्जुन ने अपनी स्वतंत्रत अभिव्यक्ति और विचारों से कभी समझौता नहीं किया.

खामियां दिखायी पड़ने पर उन्होंने किसी पार्टी को बख्शा नहीं. ‘बाल चनमा’, ‘वरुण के बेटे’, ‘बाबा बटेसरनाथ’, ‘रतिनाथ की चाची’ जैसे उनके प्रतिनिधि उपन्यास ग्रामीण भारत के दुख-दर्द, निमA वर्गीय समाज की त्रसदी और अमानवीय व्यवस्था के जीवंत दस्तावेज हैं. कवि साहित्यकार डॉ प्रणय कुमार ने कहा कि नागार्जुन सही मायने में जनकवि थे.

बादल को घिरते देखा और सिंदृर तिलकित भाल जैसी कविताओं की चर्चा करते हुए डॉ प्रणय ने नागार्जुन को ऐसा अद्वितीय कवि बताया, जो कविता के क्षेत्र में पांव पैदल सिपाही बन कर आता है और अपनी रचनाओं के साथ दिल में समां जाते हैं. युवा कवि राकेश रंजन का कहना था कि बिहार के जिन कवियों ने हिंदी कविता को नया नाम और नयी पहचान दी, उनमें पहला नाम नागार्जुन का है.

छायावाद में जो कविता कल्पना और माया में उलझी हुई थी. वहां से कविता को जीवन के यथार्थ बोध के साथ सीधे जनता तक पहुंचाने में नागार्जुन की सबसे बड़ी भूमिका रही.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel