मीरगंज : एनएच-85 सहित शहर व आसपास के क्षेत्रों की टूटी सड़कों से भारी मात्रा में धूल-मिट्टी उड़ रही है. वहीं, वाहनों के लगातार आवागमन से रफ्तार में उड़ती धूल लोगों की दुकान व घरों तक पहुंच जा रही है. दुकानों व घरों में धूल-मिट्टी व धुआं पहुंचने से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. एलर्जी, खांसी, सांस लेने में परेशानी सहित अन्य बीमारियों से लोग मुश्किल में हैं. आये दिन लोग वायु प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं.
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मीरगंज में धूल-मिट्टी से बढ़ी परेशानी, बीमारियों का खतरा
मीरगंज : एनएच-85 सहित शहर व आसपास के क्षेत्रों की टूटी सड़कों से भारी मात्रा में धूल-मिट्टी उड़ रही है. वहीं, वाहनों के लगातार आवागमन से रफ्तार में उड़ती धूल लोगों की दुकान व घरों तक पहुंच जा रही है. दुकानों व घरों में धूल-मिट्टी व धुआं पहुंचने से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. […]
वायुमंडल में अतिरिक्त रूप से मौजूद धूलकण, धुआं व गैस-उत्सर्जन का लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है. हाल के वर्षों में हथुआ जंक्शन के रेलवे रैंप पर गिट्टी के रैक से निकलने वाले महीन धूलकण, क्षेत्र के 15 से 20 की संख्या में ईंट-भट्ठों की चिमनी व वाहनों से निकलने वाले धुएं व सड़कों पर उड़ने वाली धूल, जलजमाव, खेतों में रसायनों का उपयोग, पेड़ों की कटाई, एक दूसरे से सटे घरों आदि से शहर व आस-पास के क्षेत्रों की हवा प्रदूषित होती जा रही है.
नगरवासियों व ग्रामीणों सहित डॉ फिरोज आलम, डॉ तनवीरुल हसन, डॉ संजय कुमार, डॉ उपेंद्र कुमार यादव, एलटी कमाल अहमद, डॉ रामनरेश मिश्र, प्रो उमेश चौधरी सहित अन्य विशेषज्ञों की मानें तो धूल, धुआं व धूलकण की अधिकता से एलर्जी, खांसी,सर्दी, सांस लेने में परेशानी, दमा, उल्टी, आंख की परेशानी सहित विभिन्न बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
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