वैशाली : बिहार के वैशाली में पातेपुर के बरडीहा तुर्की गांव में हुई एक शादी की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है. यहां शुक्रवार की शाम तमाम परंपराओं को दरकिनार करते हुए दुल्हन बारात लेकर दूल्हे के दरवाजे पर पहुंची. बराती व सराती पक्ष के लोगों ने जम कर ठुमके भी लगाये. दरवाजे पर बरातियों का भव्य स्वागत किया गया. दरवाजा लगाने की रश्म के बाद दूल्हा व दुल्हन की शादी संपन्न हुई. यह शादी इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें दहेज व जाति की दीवार को दोनों पक्षों ने पूरी तरह से नकार दिया.
मिली जानकारी के अनुसार बरडीहा तुर्की निवासी कमलकांत देव के पुत्र चंद्रशेखर देव की शादी कटिहार सेमापुर के लालनंद देव व साधना देवी की पुत्री दिव्या से तय हुई थी. दोनों पक्षों की आपसी सहमती के बाद शुक्रवार की शाम दिव्या अपने परिजनों व बरातियों के साथ दूल्हे के दरवाजे पर बरात लेकर पहुंची. बराती झूमते-गाते दूल्हे के दरवाजे पर पहुंचे. यहां बरातियों के स्वागत सत्कार के बाद दरवाजा लगाने की रश्म पूरी की गयी. इसके बाद आनंदमार्गी विधि से शादी की रश्म संपन्न हुई.
परिजनों ने बताया कि इस तरह की शादी का आयोजन दहेज व जाति बंधन पर करारा प्रहार करने के उद्देश्य से किया गया था. शादी आनंदमार्गी विधि से संपन्न हुई. इस मौके पर स्थानीय मुखिया पति शंभू राय, डॉ कमलकांत देव, पंकज कुमार, राममिलन साह, बैद्यनाथ साह, सुरेंद्र राय सरपंच, प्रमुख पुत्र चिनकू यादव, पूर्व उप प्रमुख पिंटू यादव, बालेंद्र राय आदि ने शादी समारोह में शामिल होकर वर वधु को आशीर्वाद दिया.