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तीन महीने में सड़क हादसों में गयीं 60 जानें

हाजीपुर : नगर की सड़कों पर या फिर जिले के विभिन्न प्रखंड क्षेत्रों की सड़कों पर यातायात प्रशासन की सजगता के बावजूद पिछले तीन महीनों में सड़क दुर्घटनाओं में 60 मौतें हो चुकी है. यह आकंड़ा सरकारी आकड़ा है. वहीं ऐसी कई सड़क दुर्घटनाएं, जिनमें मौत तो होती हैं, परंतु शव का पोस्टमार्टम नहीं हो […]

हाजीपुर : नगर की सड़कों पर या फिर जिले के विभिन्न प्रखंड क्षेत्रों की सड़कों पर यातायात प्रशासन की सजगता के बावजूद पिछले तीन महीनों में सड़क दुर्घटनाओं में 60 मौतें हो चुकी है. यह आकंड़ा सरकारी आकड़ा है. वहीं ऐसी कई सड़क दुर्घटनाएं, जिनमें मौत तो होती हैं, परंतु शव का पोस्टमार्टम नहीं हो पाता. अगर पोस्टमार्टम नहीं होने वाले मामलों को सरकारी आंकड़ों के साथ जोड़ दिया जाये तो पिछले तीन माह में सड़क हादसों ने 100 से अधिक लोगों की जानें ली हैं. आंकड़े के अनुसार प्रत्येक दिन सड़क हादसे में एक की मौत हो रही है. जिले में अधिकांश दुर्घटनाएं एनएच सड़कों पर ही होती है.

एनएच-77, एनएच -19 एवं एनएच-103 सहित अन्य सड़कों पर प्रत्येक दिन किसी न किसी स्थान पर लोग सड़क हादसे का शिकार हो रहे हैं. संबंधित विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अधिकांश मौतें ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करने के कारण हुई. यातायात विभाग के पदाधिकारियों का मानना है कि अगर बाइक सवार बाइक चालने के क्रम में ट्रैफिक रूल का पालन करे या फिर दूसरे वाहन चालक भी सड़क पर नियमों की अनदेखी न करें तो सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों का आकंड़ा काफी कम हो सकता है.

हलांकि प्रशासन द्वारा कड़े निर्देश दिये गये हैं, कि बिना हेलमेट के कोई बाइक सवार अगर पेट्रोल लेने पहुंचे तो उसे पेट्रोल नहीं दिया जायेगा, मगर इसका पालन नहीं हो रहा है.

हादसे पर नियंत्रण के लिए चलाये जा रहे अभियान: सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस द्वारा जगह-जगह पर विशेष चेकिंग अभियान चलाया जाता है. बिना हेमलेट, बिना लाइसेंस के वाहन चलाने चालकों से फाइन वसूले जाते है. बिना हेमलेट के बाइक चलाते पकड़े जाने पर 100 रुपये, बिना लाइसेंस के पकड़े जाने पर 500 रुपये जुर्माने की राशि वसूली जाती है. सड़क दुर्घटनाओं में मौत के बाद आक्रोशित लोगों द्वारा सड़क जाम कर यातायात ठप कर दिया जाता है. घटना के बाद पुलिस पहुंचती है. काफी समझाने-बुझाने एवं उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर लोगों को शांत कराया जाता है. इस दौरान पुलिस प्रशासन को भी काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. उधर पेट्रोल पंप के प्रबंधकों का कहना है कि बिना हेमलेट के पेट्रोल लेने पहुंचने वाले बाइक सवारों से जब प्रशासनिक नियमों का हवाला दिया जाता है, तो उनका कहना होता है कि वे आपात स्थिति में हैं और उन्हें पेट्रोल की काफी जरूरत है. नियमों के बारे में बाद में कभी आप से समझ लेंगे. पेट्रोल पंप प्रबंधकों का यह भी कहना है कि जिला प्रशासन को प्रत्येक पेट्रोल पंप पर एक सुरक्षा गार्ड प्रतिनियुक्त करना चाहिए, जिससे प्रशासनिक नियमों का पालन वाहन चालकों व मालिकों से कराया जा सके.
क्या कहते हैं अधिकारी
वाहन चेकिंग सहित अन्य तरह के अभियान चलाकर लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति सजग रहने का संदेश दिया जाता है. नियमों के विरुद्ध वाहन परिचालन करते पकड़े जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाती है. यातायात प्रशासन सड़क हादसों को लेकर बेहद संवेदनशीलता के साथ अपने सभी अभियानों को समय-समय पर चला रहा है.

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