हाजीपुर : लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की ओर से वर्ष 2007 में बिदुपुर बहु ग्रामीण जलापूर्ति परियोजना के नाम से लाई गयी परियोजना के अधर में लटके रहने से आर्सेनिक प्रभावित गांवों के लोग मजबूर होकर आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं. दस वर्षो से परियोजना पर ग्रहण लगा हुआ है. प्रारंभ में परियोजना […]
हाजीपुर : लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की ओर से वर्ष 2007 में बिदुपुर बहु ग्रामीण जलापूर्ति परियोजना के नाम से लाई गयी परियोजना के अधर में लटके रहने से आर्सेनिक प्रभावित गांवों के लोग मजबूर होकर आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं. दस वर्षो से परियोजना पर ग्रहण लगा हुआ है. प्रारंभ में परियोजना 136 करोड़ की थी, बाद में इसे 450 करोड़ की परियोजना में तब्दील कर दिया गया. जिले के तीन प्रखंडों के 77 गांवों को आर्सेनिक रहित पेयजल आपूर्ति करने के मकसद से उक्त योजना प्रारंभ की गयी थी. गंगा किनारे के पांच किलोमीटर के दायरे में आर्सेनिक प्रभावित गांवों को इसके दायरे में लाया गया था.
सदर प्रखंड, बिदुपुर प्रखंड एवं सहदेई बुजुर्ग प्रखंड क्षेत्र के आर्सेनिक प्रभावित गांवों को पाइप लाइन के जरिये पेयजल आपूर्ति की जानी थी. जिस एजेंसी को परियोजना का काम सौंपा गया था, वह आंध्रप्रदेश की एक कंपनी है. मिल रही जानकारी के अनुसार उक्त योजना का मात्र 33 प्रतिशत कार्य ही अब तक पूरा किया जा सका है.
पीएचइडी की देखरेख में कंपनी कार्य कर रही है. यह भी जानकारी मिल रही है कि कोलकाता में एक ओवरब्रिज, जिसका निर्माण भी उक्त कंपनी की ओर से कराया गया. कोलकाता के उस ओवरब्रिज के गिरने को लेकर कंपनी को ब्लैक लिस्टेड भी किया जा चुका है.
फिर भी वही एजेंसी पेयजल आपूर्ति योजना का कार्य आगे बढ़ा रही है. तीनों प्रखंड के कई गांवों में पाइप लाइन भी बिछाया गया,लेकिन जल संचयन के लिए कहीं टंकी संरचना का निर्माण होकर रह गया, और कहीं टंकी संरचना का निर्माण भी अधुरा है.
भू-दाता ने हाइकोर्ट में दायर की थी याचिका
बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना को लेकर बिदुपुर प्रखंड क्षेत्र के गंगा किनारे चेचर गांव में वाटर ट्रिटमेंट प्लांट लगाया गया. वह जमीन किसी ने बेसिक स्कूल बनाने के लिए दी थी. भू-दाता को जब यह जानकारी मिली कि तो उसने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर वहां प्लांट लगाने का विरोध किया.
बेसिक स्कूल की जमीन पर सीवरेज प्लांट लगाने का भू-दाता ने काफी जोरदार विरोध किया और कहा कि जिस कार्य के लिए उसने जमीन दी थी, उसके अलावा अगर दूसरा कोई निर्माण कार्य जमीन पर होगा तो सिर्फ जमीन मालिक ही उस पर कोई निर्माण कार्य करा सकता है. परियोजना को लेकर पीएचइडी के अधिकारी साफ तौर पर कुछ भी बताने से इनकार कर रहे है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
परियोजना का कार्य कर रही एजेंसी ने लिखित रूप में विभाग को जानकारी दी है कि वर्ष 2018 तक बिदुपुर बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना का काम पूरा कर लिया जायेगा़ शीघ्र ही समस्या का निदान कर लिए जाने की पूरी संभावना है.
केशव कुमार लाल, कार्यपालक अभियंता