18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रेक्षागृह को तरस रहे हाजीपुर के कलाकार

उपेक्षा . दो दशकों से आवाज उठाते रहे हैं रंगकर्मी हाजीपुर : नाट्य कर्म के क्षेत्र में अपनी खास पहचान रखने वाला हाजीपुर शहर एक प्रेक्षागृह के लिए तरस रहा है. यह शहर उस वैशाली जनपद का मुख्यालय है, जिसे आम्रपाली की रंग भूमि कहलाने का गौरव प्राप्त है. विभिन्न प्रदेशों से लेकर देश की […]

उपेक्षा . दो दशकों से आवाज उठाते रहे हैं रंगकर्मी

हाजीपुर : नाट्य कर्म के क्षेत्र में अपनी खास पहचान रखने वाला हाजीपुर शहर एक प्रेक्षागृह के लिए तरस रहा है. यह शहर उस वैशाली जनपद का मुख्यालय है, जिसे आम्रपाली की रंग भूमि कहलाने का गौरव प्राप्त है. विभिन्न प्रदेशों से लेकर देश की राजधानी तक अपनी नाट्य कला का जलवा बिखेरने वाले यहां के रंगकर्मी वर्षों से शहर में प्रेक्षागृह की गुहार लगा रहे हैं. इनकी हसरत कब पूरी होगी, कहना मुश्किल है.
प्रेक्षागृह के बिना शिथिल पड़ा रंगकर्म : जहां का शासन-प्रशासन कला प्रदर्शन के लिए कलाकारों को न्यूनतम सुविधाएं भी उपलब्ध न करा सके, वहां कला संस्कृति के विकास की बातें बेमानी लगने लगती हैं.
हाजीपुर शहर में ध्वनि, प्रकाश एवं अन्य आवश्यक उपकरणों से सुसज्जित एक मुकम्मल प्रेक्षागृह के निर्माण की मांग यहां के संस्कृतिकर्मी व रंगकर्मी पिछले दो दशक से उठाते रहे हैं. अफसोस कि इनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित होती रही है. शहर में पिछले 10-12 वर्षों के दौरान सांस्कृतिक गतिविधियों खास कर रंग कर्म के क्षेत्र में जो शिथिलता आयी है, उसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण प्रेक्षागृह का अभाव है. वैशाली जिले में ऐसे कई रंगकर्मी मौजूद हैं, जिन्हें मूलभूत सुविधा और पर्याप्त अवसर मिले, तो वे अभिनय और निर्देशन के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला प्रतिभा का लोहा मनवा सकते हैं. नाट्य विधा में कई प्रयोगों के माध्यम से अपने को साबित कर चुके इन कलाकारों में नाट्य कर्म के प्रति प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं आयी है. कमी है तो सिर्फ आवश्यक सुविधाओं की. प्रेक्षागृह जैसी न्यूनतम सुविधा भी नसीब न होने से नाट्य कर्म को जिंदा रखने का कलाकारों का हौसला टूटता जा रहा है.
जर्जर टाउन हॉल के सहारे जिंदा है नाट्य कर्म : जिला मुख्यालय में संगीत, नाटक या अन्य कला प्रस्तुति के लिए मात्र एक आम्रपाली नगर भवन है, जिसमें इससे संबंधित कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है.
किसी भी प्रस्तुति के लिए नगर भवन में कलाकरों को काफी खर्च और परिश्रम करना पड़ता है. कला प्रदर्शन के पहले इसमें अलग से लाइट, साउंड, मंच सज्जा आदि की व्यवस्था करनी पड़ती है. कोई भी नाट्य संस्था जब कभी अपनी प्रस्तुति की तैयारी में लगती है, तो भारी भरकम खर्च का बोझ उसके सिर पर आ जाता है. ऐसे में नाट्य गतिविधियों की निरंतरता बुरी तरह प्रभावित होती है.
कलाकारों का टूट रहा हौसला
क्या कहते हैं रंगकर्मी
वैशाली जिले में नाटक और संगीत की समृद्ध परंपरा रही है. हमारी संस्कृति की इस महत्वपूर्ण विधा को संजोने में नयी पीढ़ी भी लगी हुई है. संसाधनों की कमी कलाकारों को खटकती रहती है. जिला मुख्यालय से लेकर सभी प्रखंड मुख्यालयों में प्रेक्षागृह का होना नितांत जरूरी है. इससे कला का विकास होगा.
मनोरंजन वर्मा, वरिष्ठ रंगकर्मी
हाजीपुर शहर में एक सुसज्जित प्रेक्षागृह के लिए हम 20 वर्षों से आवाज बुलंद कर रहे हैं. वैशाली सांस्कृतिक मोरचा के माध्यम से यहां के तमाम रंगकर्मी, संस्कृतिकर्मी एवं कलाकार शासन प्रशासन से प्रेक्षागृह की गुहार लगाते रहे हैं. यदि सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, तो हम सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे.
क्षितिज प्रकाश, सचिव, निर्माण रंगमंच, हाजीपुर
वैशाली जिले में नाट्य कर्म की समृद्ध परंपरा रही है. सुविधा और साधन की कमी के चलते नाट्य गतिविधियां कमजोर पड़ती चली गयीं. कला संस्कृति के विकास पर सरकार का विशेष ध्यान होना चाहिए. शहर में प्रेक्षागृह का होना बहुत जरूरी है. इसके लिए सरकार को पहल करनी चाहिए.
अखौरी चंद्रशेखर, नाटककार
जिस शहर में लगभग एक दर्जन नाट्य संस्थाएं सक्रिय हों, वहां एक अदद प्रेक्षागृह का न होना अफसोस की बात है. शहर में प्रेक्षागृह बन जाने से यहां की सुस्त पड़ी सांस्कृतिक गतिविधियां फिर से परवान चढ़ने लगेंगी.
प्रकाश गौतम, सचिव, रंगायन, हाजीपुर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें