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फिर डूबेंगी सड़कें और गलियां

अनदेखी. खटाई में पड़ी है 113 करोड़ की सीवरेज योजना हाजीपुर : हाजीपुर शहर के निवासियों को इस साल भी जल जमाव से मुक्ति नहीं मिल पायी. नगर क्षेत्र की सड़कें और गलियां इस बार फिर पानी में डूबेंगी ही, अगले कई सालों तक यह समस्या बनी रहेगी, यह कहना मुश्किल है. ऐसा इसलिए क्योंकि […]

अनदेखी. खटाई में पड़ी है 113 करोड़ की सीवरेज योजना

हाजीपुर : हाजीपुर शहर के निवासियों को इस साल भी जल जमाव से मुक्ति नहीं मिल पायी. नगर क्षेत्र की सड़कें और गलियां इस बार फिर पानी में डूबेंगी ही, अगले कई सालों तक यह समस्या बनी रहेगी, यह कहना मुश्किल है. ऐसा इसलिए क्योंकि शहर में सीवरेज निर्माण का काम कब पूरा होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. नगर क्षेत्र को जल जमाव से मुक्ति और गंदे पानी की निकासी के लिए बनायी गयी इस योजना में लापरवाही की हद हो गयी है.
लगभग 113 करोड़ रुपये की यह महत्वाकांक्षी योजना कार्य एजेंसी, बुड़को और नगर पर्षद के पेच में फंस कर रह गयी है. काम की रफ्तार देख नगरवासियों को अब लगने लगा है कि हाजीपुर शहर को स्वर्ग बनाने वाली यह योजना शायद ही पूरी हो सके.आधा काम भी नहीं हुआ अभी तक : शहर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और सीवरेज नेटवर्क के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुए छह साल हो गये. हाजीपुर शहरी क्षेत्र से निकलने वाले गंदे पानी को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिये नहरों में बहाये जाने की योजना को 12 अप्रैल 2010 को स्वीकृति मिली थी. नेशनल गंगा बेसिन ऑथोरिटी ने इस प्रोजेक्ट के लिए 113 करोड़ 62 लाख रुपये का आवंटन दिया था. 12 दिसंबर 2011 को नगर में सीवरेज निर्माण का काम शुरू हुआ. दो साल की अवधि में यानी दिसंबर 2013 तक यह काम पूरा कर लेना था. छह साल बीत गये, लेकिन अभी तक आधा काम भी नहीं हो सका है.
थम गयी रफ्तार, बढ़ता गया समय
शुरुआत में तो काम की रफ्तार ठीक रही, लेकिन आगे चल कर इसमें ब्रेक लग गया. काम की धीमी गति देख कर कई बार प्रोजेक्ट की समय सीमा बढ़ायी गयी. पहले मार्च 2015, फिर 2016 तक का समय निर्धारित किया गया. इसके बावजूद काम में तेजी नहीं आयी. कंपनी के सहायक प्रोजेक्ट मैनेजर रघुनाथ राय ने बताया कि कंपनी इस योजना को जितनी जल्दी हो, पूरा करना चाहती है. पंनिर्माण में बाधा के चलते आगे का काम रुका पड़ा है.
जिन चार स्थानों पर आइपीएस का निर्माण होना है, उसके लिए जढ़ुआ पोखरा, अनवरपुर रेलवे क्रॉसिंग के निकट, सर्किट हाउस के निकट पीडब्ल्यूडी के आरसीडी कैम्पस तथा पोखरा मोहल्ला में स्थान निर्धारित किया गया है. इन चारों स्थानों में सिर्फ एक आरसीडी कैंपस का एनओसी मिला है. जब तक अन्य जगहों का एनओसी नहीं मिल जाता, काम आगे बढ़ाना मुश्किल है.
55 किमी ही बिछ पाया है पाइप
सीवरेज निर्माण का काम चीन की कंपनी ट्राइटेक (बीजिंग) द्वारा कराया जा रहा है. बिहार अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेन्ट कॉरपोरेशन की देखरेख में इस योजना पर काम चल रहा है. एमएस इंडिया लिमिटेड को सुपरविजन का दायित्व मिला हुआ है. इस प्रोजेक्ट के तहत 188 किलोमीटर में पाइप लाइन बिछायी जानी है. इस सीवर नेटवर्क में 11,382 मेन होल तथा चार इंटरमीडिएट पम्पिंग स्टेशन का निर्माण होना है. इसके साथ ही नगर के इंडस्ट्रियल एरिया में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण हो रहा है. इसके लिए पूरे नगर क्षेत्र को पांच जोन में बांटा गया है. काम की प्रगति यह है कि अभी तक महज 55 किलोमीटर में पाइप लाइन बिछायी जा सकी है.
मात्र 17 सौ 95 मेनहोल बनाये जा सके है. चार इंटर पंपिंग स्टेशन में एक का भी निर्माण नहीं हो सका है. कार्य एजेंसी का कहना है कि जमीन का एनओसी नहीं मिलने के कारण पंपिंग स्टेशन का निर्माण नहीं हो पा रहा. इसकी वजह से पाइप लाइन बिछाने का काम भी प्रभावित हो रहा है.
काम में तेजी लाने का करेंगे प्रयास
सीवरेज नेटवर्क और ट्रीटमेंट प्लांट नगर का ड्रीम प्रोजेक्ट है. इस योजना को बहुत पहले ही पूरी हो जानी थी. पिछले दो- तीन वर्षों में क्या हुआ, यह मैं नहीं बता सकती. अब फिर से हमारा बोर्ड बना है तो मैं चाहूंगी कि इस काम में तेजी आये. प्रोजेक्ट का काम किन कारणों से रुका पड़ा है, इसका पता लगा रही हूं.
रमा निषाद, उप सभापति, नगर पर्षद
साल के अंत तक एसटीपी हो जायेगा तैयार
सीवर नेटवर्क का भले ही 60 प्रतिशत से ज्यादा काम अभी बाकी है, लेकिन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को इस साल के अंत तक तैयार हो जायेगा. सहायक प्रोजेक्ट मैनेजर द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक जोन चार और जोन पांच में ब्रांच लाइन का काम लगभग 90 प्रतिशत पूरा हो गया है. एसटीपी के निकट टर्मिनल पंपिंग स्टेशन बनाया जा रहा है. इसी टीपीएस में नगर के चारों आइपीएस का पानी आयेगा.
उसके बाद ग्रिड शेफरेटर में जायेगा और वहां से एरिएशन टैंक में जायेगा. एसटीपी के निकट बनाये जा रहे सीसी टैंक, क्लोरिंग कांटेक्ट रूम, एडमिन बिल्डिंग, ग्रिड शेफरेटर, स्लज थिकनर, सेंट्रीफ्यूज बिल्डिंग, पीएमसीसी बिल्डिंग आदि कंप्लीट हो चुके हैं.

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