हाजीपुर : वर्षों से अंधकार में डूबा उत्तर बिहार का लाइफ लाइन कहा जाने वाला महात्मा गांधी सेतु अब दुघिया रोशनी से प्रकाशवान हो जायेगा. सेतु के जीर्णोद्धार के लिए करने वाली निर्माण एजेंसी ने सेतु के डिवाइडर पर रोशनी की व्यवस्था करने की कवायद में जुट गयी है. निर्माण एजेंसी के कर्मचारियों ने सेतु पर पहले से लगाये गये बिजली के खंभे को हटाकर नया खंभा गाड़कर रोशनी की समुचित व्यवस्था कर रही है. सेतु पर प्रकाश की व्यवस्था होने से एक तरफ जीर्णोद्धार के काम में जुटे कर्मचारियों को रात में भी काम करने में सहूलियत होगी तो दूसरी ओर सेतु से आने-जाने वाले वाहन चालकों को भी आराम मिलेगा.मालूम हो कि 35 साल पहले वर्ष 1982 में महात्मा गांधी सेतु उत्तर और दक्षिण बिहार के लोगों को सौगात के रूप में मिला था.
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा सेतु के उद्धाटन किये जाने को लेकर सेतु के हर पायों के बीच समुचित प्रकाश की व्यवस्था की गयी थी. एक पायों के बीच चार-चार बिजली के खंभे और उसपर दो-दो वैपर्स लाइट की व्यवस्था की गयी थी. पूरा सेतु दुघिया रोशनी में प्रकाशमान रहता था. देश ही नहीं बल्कि एशिया के नदी पर सबसे बड़े पुल को देखने के लिए दूसरे राज्य के लोग भी आने लगे थे. विदेशी पर्यटकों के लिए गांधी सेतु पर्यटक स्थल के रूप में अपनी पहचान बना ली थी. लेकिन महज कुछ वर्षो के बाद एक के बाद एक करके वैपर्स लाइट खराब होने लगी. शुरू में विभाग द्वारा लाइट की मरम्मती की गयी लेकिन बाद में इस दिशा में विभागीय उदासीनता के कारण सेतु पर लगे सभी लाइट खराब हो गयी और नतीजतन पूरा सेतु अंधकारमय हो गया. बीते एक दशक से सेतु पर रोशनी उपलब्ध कराने को लेकर न तो पथ निर्माण विभाग और न ही राज्य सरकार ही इस ओर ध्यान दिया.