पहल. 35 साल पहले हुआ था गांधी सेतु का उद्घाटन, अब होगा जीर्णोद्धार
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इतिहास बन जायेगा ऊपरी स्ट्रक्चर
पहल. 35 साल पहले हुआ था गांधी सेतु का उद्घाटन, अब होगा जीर्णोद्धार हाजीपुर : अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तो अगले सप्ताह से महात्मा गांधी सेतु का ऊपरी स्ट्रक्चर को काटने का काम शुरू हो जायेगा. एक से डेढ़ माह में सेतु का पश्चिमी लेन काट दिया जायेगा. इसके साथ ही उत्तर और दक्षिण […]
हाजीपुर : अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तो अगले सप्ताह से महात्मा गांधी सेतु का ऊपरी स्ट्रक्चर को काटने का काम शुरू हो जायेगा. एक से डेढ़ माह में सेतु का पश्चिमी लेन काट दिया जायेगा. इसके साथ ही उत्तर और दक्षिण बिहार का लाइफलाइन कहा जाने वाला गांधी सेतु का यह ऊपरी स्ट्रक्चर (वर्तमान) इतिहास के पन्नों में सिमट जायेगा.
हालांकि सेतु के ऊपरी स्ट्रक्चर को काटने का काम अभी शुरू नहीं हुआ है. बीते 21 जून को एफकॉन इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी के इंजीनियर और कई पदाधिकारियों ने सेतु के पाया संख्या एक के समीप विधिवत पूजा कर पुल तोड़ने के लिए नारियल फोड़ कर कार्य का श्रीगणेश किया था. 28 जून अर्थात बुधवार से ही सेतु के भार को कम करने के लिए पहले ऊपर के आवरण को तोड़ कर हल्का करने का काम शुरू किया जाना था, लेकिन यह काम दो दिनों के लिए टल गया है और अब 30 जून से ऊपरी स्ट्रक्चर को काटने का काम शुरू होने की संभावना है.
पश्चिमी लेन के नये ढांचे के लिए 24 माह की समयसीमा : हाजीपुर साइड से पाया संख्या तीन से ऊपरी स्ट्रक्चर को काटने का काम शुरू किया जायेगा. पुल के नीचे तारपोलिंग बिछाया जायेगा. डायमंड कटर से पुल के टुकड़ों को काट कर नीचे तारपोल पर गिराया जायेगा. तारपोल को पैक कर ट्रक से स्क्रैप को कंपनी के वेस कैंप में बनाये गये क्रशर के समीप रखा जायेगा. उधर, नदी वाले क्षेत्र में पानी में तैरते बार्ज पर ऑटोमेटिक लिफ्ट के माध्यम से गिराया जायेगा. बार्ज को नदी के किनारे लाकर काटे गये स्क्रैप को ट्रक के माध्यम से वेस कैंप तक पहुंचाया जायेगा. प्रथम चरण में कंपनी की योजना पश्चिमी लेन के ऊपरी स्ट्रक्चर को काटने की है. इसके बाद नये ढांचे के अनुसार पश्चिमी लेन को बनाया जायेगा. इसके लिए 24 माह की समयसीमा का लक्ष्य रखा गया है. इसके बाद पूर्वी लेन को काट कर बनाया जायेगा.
35 साल पहले हुआ था सेतु का उद्घाटन : सन 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने गांधी सेतु का उद्घाटन कर बिहारवासियों को सौगात दी थीं. इसके साथ ही उत्तर और दक्षिण बिहार के लोगों को गंगा नदी पार कर आने-जाने की सुविधा मिली थी. 46 पायों पर बनी 5.548 किलोमीटर लंबा महात्मा गांधी सेतु पुल को उस समय एशिया का सबसे लंबा नदी पुल का दर्जा मिला था. सेतु की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर वैशाली और पटना पुलिस प्रशासन को संयुक्त रूप से जिम्मेवारी दी गयी थी. पाया संख्या एक से लेकर 36 तक वैशाली पुलिस की देखरेख में, जबकि पाया संख्या 36 से लेकर 46 तक पटना पुलिस के क्षेत्राधिकार में था. सेतु पर पुलिस की यह व्यवस्था साढ़े तीन दशक बाद आज तक जारी है. वहीं, दूसरी ओरदेश में यह पहली बार होगा, जब किसी पुल के टूटे स्क्रैप से सड़क बनायी जायेगी.
निर्माण एजेंसी सेतु के ऊपरी स्ट्रक्चर के स्क्रैप को काट कर अपने वेस कैंप में लायेगी. वहां स्क्रैप को एक मानक साइज में क्रश कर बिहार रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट को दिया जायेगा. आरसीडी इस क्रश मेटेरियल को सूबे में बनने वाली सड़कों में इस्तेमाल करेगी. इंजीनियरों का मानना है कि सेतु के स्क्रैप से बनी सड़क काफी मजबूत होगी.
5.548
किलोमीटर है सेतु की लंबाई
1982
में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था उद्घाटन
46
पाये हैं सेतु में
(पाया संख्या एक से 36 तक वैशाली पुलिस प्रशासन जबकि शेष पटना पुलिस प्रशासन के क्षेत्राधिकार में)
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