सुपौल. चैती छठ महापर्व जिले में पूरे श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है. चार दिवसीय इस महापर्व के तीसरे दिन गुरुवार को व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्यदेव को अर्घ्य देकर परिवार के सुख समृद्धि की कामना की. मौके पर व्रतियों ने तालाब व अपने आवासीय परिसर में बनाए गये पोखर के जल में खड़े होकर भगवान सूर्यदेव की पूजा अर्चना की. नये वस्त्र धारण किये व्रती अपने हाथ में सूप लेकर भगवान भाष्कर की अर्चना की. गौरतलब है कि चैती छठ महापर्व का प्रारंभ 01 मार्च को नहाय खाय के साथ हुई थी. पर्व के दूसरे दिन बुधवार को खरना पूजा किया गया. जिसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का उपवास प्रारंभ हो गया. शुक्रवार की सुबह महापर्व के चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ महापर्व संपन्न हो जायेगा. छठ पूजा को लेकर श्रद्धालु के परिवार एवं छठ घाटों पर माहौल भक्तिमय बना हुआ है. व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर की दिया अर्घ फोटो – 24 कैप्सन – अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ देती वीरपुर. चैत्र माह के नवरात्र के साथ साथ चार दिवसीय चैती छठ का पर्व भी जारी है. इसी क्रम में गुरुवार को छठ पर्व के तीसरे दिन वीरपुर मुख्यालय सहित बसंतपुर प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी भास्कर को अर्घ दिया. चैती छठ को लेकर जिला प्रशासन की पहल पर वीरपुर थाना परिसर में एसडीएम नीरज कुमार की अध्यक्षता में शांति समिति की बैठक आयोजित हुई. बैठक के दौरान पर्व त्योहार के दौरान एहतियात बरतने की अपील की गई. जिसे लोगो ने स्वीकार करते अलग अलग जगहों पर छठ घाट का निर्माण किया और गुरुवार की शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ दिया. चार दिनों के इस पावन पर्व की शुरुआत मंगलवार से ही हो गई थी. जहां छठ व्रतियां ने मंगलवार को नहाय खाय किया. वहीं बुधवार को खरना का व्रत रखा और गुरुवार को पर्व के तीसरे दिन विभिन्न जलाशयों में खड़े होकर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ दिया. रामजानकी मंदिर पोखर, वीरपुर प्रोफ़ेसर कॉलोनी पोखर क़े साथ साथ भीमनगर में भी धूम धाम और हर्षोल्लास के साथ छठपर्व मनाया जा रहा है. तिलयुगा नदी किनारे व्रतियों ने किया चैती छठ निर्मली. अनुमंडल क्षेत्र में चैती छठ पर्व को लेकर छठ व्रतियों ने भक्तिमय का माहौल है. निर्मली स्थित तिलयुगा नदी किनारे छठ व्रती पहुंच कर गुरुवार को अस्ताचलगामी (डूबते हुए) सूर्य को अर्घ्य दिया. शुक्रवार की अहले सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही 4 दिन का महापर्व खत्म होगा. व्रतियों-श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए घाट के पास पेयजल, बैरिकेडिंग, लाइटिंग, चेंजिंग रूम, हेल्प डेस्क और सुरक्षा के इंतजाम नहीं थे.
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