सुपौल. गांधी मैदान में गणेश उत्सव समिति के तत्वावधान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर कथा वाचिका अनन्या शर्मा जी ने भक्तिरस से सरोबार अमृत कथा का श्रवण कराया. उन्होंने कहा कि सामान्यतः हम भगवान से सुख-सुविधाएं मांगते हैं, परंतु जिस दिन हम भगवान से भगवान को ही मांग लेते हैं. उसी दिन जीवन सफल हो जाता है. मीराबाई और माता शबरी जैसे संत इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं. जिन्होंने प्रभु चरणों की सेवा ही मांगी और प्रभु ने उन्हें अंगीकार किया. कथा करते उन्होंने शरद पूर्णिमा की रात्रि, महारास और गोपियों के माध्यम से संत-महात्माओं को भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन की कथा सुनाई. इसी क्रम में राधे रानी और श्रीकृष्ण के बीच मोतियों के हार का प्रसंग भावपूर्ण भजन के साथ प्रस्तुत किया. जिस पर श्रद्धालु झूमकर नृत्य करने लगे. इसके बाद कंस वध की कथा सुनाते बताया कि मथुरा में कंस का वध कर भगवान श्रीकृष्ण को राजा बनाया गया. किंतु अपने गोकुलवासियों को न भूलते हुए उन्होंने उद्धव जी के माध्यम से गोपियों तक संदेश भेजा. गोपी-उद्धव संवाद का मार्मिक चित्रण सुनकर श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं. कथा आगे बढ़ाते हुए उन्होंने बताया कि जरासंघ द्वारा बार-बार आक्रमण करने पर भगवान श्रीकृष्ण मथुरा छोड़कर द्वारका चले गए. जिससे उन्हें “रणछोड़” नाम मिला. तत्पश्चात रुक्मणी विवाह प्रसंग का सुंदर वर्णन किया गया. माता रुक्मणी के संदेश पर भगवान ने शिशुपाल से उनका विवाह रोककर स्वयं उनका हरण किया और विवाह कर उन्हें पटरानी बनाया. इस प्रसंग पर श्रद्धालु भजनों पर नृत्य कर भावविभोर हो उठे. आयोजन को सफल बनाने में अध्यक्ष राम लखन चौधरी, उपाध्यक्ष उमेश चौधरी, सचिव ललन कुमार, उप सचिव अमित गुप्ता, कोषाध्यक्ष सुमन गुप्ता, नवीन गुप्ता, अभय कुमार मिश्रा आदि जुटे हैं.
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