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सुरसर नदी अस्तित्व के संकट में, जलस्तर गिरने से किसानों की बढ़ी मुश्किलें

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय-समय पर प्रशासन द्वारा नदी से गाद और सिल्ट की सफाई करवाई जाती, तो यह संकट उत्पन्न नहीं होता

जदिया. जदिया थाना क्षेत्र से होकर बहने वाली प्रमुख सुरसर नदी आज अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है. नदी के सूखने से हरियाली पर खतरा मंडराने लगा है. गर्मी की शुरुआत से पहले ही नदी का जलस्तर गिरने लगा है, जिससे किसान और पशुपालक दोनों परेशान हैं. खासकर, मक्का की फसल के लिए निरंतर नमी की आवश्यकता होती है, लेकिन पानी की कमी से खेतों में सूखा पड़ने लगा है, जिससे किसानों के लिए गंभीर संकट खड़ा हो गया है. जलस्तर गिरना खतरे की घंटी, पटवन में बढ़ा समय और लागत गर्मी के साथ भूजल स्तर का गिरना इलाके के लिए चिंता का विषय बन गया है. सिंचाई के प्रमुख स्रोत के रूप में निर्भर नदी के सूखने से बोरिंग का जलस्तर भी कम हो गया है, जिससे किसान अपनी फसलों की पटवन के लिए दोगुने से भी अधिक समय लगा रहे हैं. जलस्तर की गिरावट के चलते छोटे तालाब भी सूख गए हैं, जिससे पशुओं के लिए पीने के पानी की समस्या भी उत्पन्न हो गई है. किसानों की बढ़ी मुश्किलें, खेती बन रही घाटे का सौदा थाना क्षेत्र के किसान विजेंद्र यादव, कमलेश्वरी साह, रामजी मेहता, सोमनाथ, विष्णुदेव, कपिलेश्वर यादव, मृत्युंजय और सीताराम समेत कई किसानों ने बताया कि खेती अब घाटे का सौदा बनती जा रही है. खाद और बीज की महंगी कीमतों के बीच सिंचाई की समस्या ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी है. खेतों में नमी की कमी के कारण मक्का के दाने छोटे रह जा रहे हैं, जिससे फसल उत्पादन पर सीधा असर पड़ने की आशंका है. बरसात में उफान पर रहती है सुरसर, गर्मियों में सूखने की समस्या नेपाल से निकलकर भारतीय क्षेत्र में बहने वाली सुरसर नदी मानसून के दौरान उफान पर रहती है. इस दौरान नदी अपने साथ गाद और बालू लाती है, जिससे इसका तल उथला होता जा रहा है. लेकिन गर्मियों में यह नदी लगभग नाले में तब्दील हो जाती है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय-समय पर प्रशासन द्वारा नदी से गाद और सिल्ट की सफाई करवाई जाती, तो यह संकट उत्पन्न नहीं होता. प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग इलाके के किसान और स्थानीय लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि सुरसर नदी की सफाई और पुर्नजीवित के लिए ठोस कदम उठाए जाएं. यदि समय रहते उचित उपाय नहीं किए गए, तो आने वाले वर्षों में यह नदी पूरी तरह खत्म हो सकती है, जिससे सिंचाई और पीने के पानी की समस्या और विकराल रूप ले सकती है.

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