त्रिवेणीगंज. प्रखंड अंतर्गत हरिहरपट्टी चौक स्थित एक अवैध दुकान पर 30 अगस्त को प्रशासनिक छापेमारी के बाद अब पूरा मामला सवालों के घेरे में आ गया है. छापेमारी में 54 बोरा खाद जब्त किए गए, लेकिन दुकान में मौजूद लाखों रुपये के कीटनाशक दवाओं का कहीं उल्लेख नहीं है. इससे कृषि विभाग, खासकर एसडीओ कृषि की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. छापेमारी एसडीएम और एसडीओ कृषि की संयुक्त टीम द्वारा की गई थी. कार्रवाई के बाद तैयार जब्ती सूची में केवल खाद का जिक्र किया गया है, जबकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि दुकान में भारी मात्रा में कीटनाशक दवाएं भी रखी थीं. स्थानीय लोगों का आरोप है कि इन दवाओं को जानबूझकर सूची से बाहर रखा गया, ताकि बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी को दबाया जा सके. गौरतलब है कि इस मामले की प्राथमिकी में भी केवल खाद बरामदगी का जिक्र है, जबकि कीटनाशकों का कोई उल्लेख नहीं किया गया. इससे विभाग की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि छापेमारी के दौरान कीटनाशक दवाएं तस्वीरों में साफ दिखाई देती हैं, लेकिन अब उनका कहीं पता नहीं है। न तो उनकी बरामदगी हुई है और न ही अधिकारियों ने उनकी अनुपस्थिति पर कोई स्पष्ट जवाब दिया है. मीडिया द्वारा पूछे जाने पर एसडीएम ने इस पूरे मामले को कृषि विभाग के जिम्मे डाल दिया। दूसरी ओर, कृषि एसडीएओ मुकेश कुमार ने सफाई देते हुए कहा कि छापेमारी के दौरान लॉ एंड ऑर्डर की समस्या उत्पन्न हो गई थी, जिसके कारण भूलवश कीटनाशक दवाओं का जिक्र सूची में नहीं हो पाया. उन्होंने यह भी दावा किया कि दर्ज प्राथमिकी में सभी आवश्यक धाराएं लगाई गई हैं. हालांकि उनकी इस सफाई से स्थानीय लोग बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं दिख रहे. ग्रामीणों का आरोप है कि यदि इस मामले की उच्चस्तरीय और स्वतंत्र जांच नहीं कराई गई तो इसे दबा दिया जाएगा. लोगों का कहना है कि जब दुकान में खाद और कीटनाशक दोनों मौजूद थे, तो एक की जब्ती और दूसरे की अनदेखी क्यों की गई? इस मामले पर लोगों की गहरी नाराजगी है और मांग है कि छापेमारी में शामिल अधिकारियों की भूमिका की निष्पक्ष जांच कर सच्चाई सामने लाई जाए.
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