– पौधरोपण के कारण सुरसर नदी में चैनेलाइजेशन का कार्य बाधित छातापुर. प्रखंड क्षेत्र में पौधरोपण कार्य के नाम पर वन विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. वित्तीय वर्ष 2024 में वन विभाग द्वारा भट्टावारी मौजा के समीप सुरसर नदी के बीचों बीच पौधरोपण कर दिया गया. जिसके कारण अब सुरसर नदी के चैनेलाइजेशन कार्य में बड़ी बाधा उत्पन्न हो गई है. करोड़ों की लागत से हो रहे चैनेलाइजेशन कार्य में यह पौधरोपण आड़े आ रहा है. वन विभाग की लापरवाही का नतीजा है कि संवेदक ने पौधरोपण वाले करीब पांच सौ मीटर भाग में चैनेलाइजेशन कार्य को रोक दिया है. जबकि पौधरोपण वाले भाग के उत्तर व दक्षिण दोनों तरफ चैनेलाइजेशन का कार्य प्रगति पर है. नतीजा है कि उक्त स्थल पर नदी का बहाव पूर्ववत ही है. नदी का पानी अपने मूल स्थान से पश्चिम खिसककर रैयती व उपजाऊ जमीन से होकर बह रही है. ऐसे में नदी के बहाव को मूल स्थान पर लाने के लिए किया जा रहा चैनेलाइजेशन कार्य उद्देश्य प्राप्ति से दूर नजर आ रहा है. वहीं तटबंध के बाहर रैयती भूस्वामियों की उपजाऊ जमीन को नदी धीरे धीरे निगलती जा रही है. भूस्वामी ने जिला पदाधिकारी से की शिकायत प्रभावित भूस्वामियों ने इसकी शिकायत डीएम से की है. भूस्वामियों ने मामले में डीएम से सार्थक पहल करते हुए छोडे़ गये स्थान पर भी चैनेलाइजेशन कार्य करवाने का अनुरोध किया है. मालूम हो कि बीते 20 जनवरी को सीएम नीतीश कुमार प्रगति यात्रा पर सुपौल पहुंचे थे. सीएम के द्वारा सुरसर नदी के चैनेलाइजेशन एवं क्षतिग्रस्त तटबंध की मरम्मति कार्य की घोषणा कर इसका शिलान्यास किया गया था. शिलान्यास के उपरांत छातापुर एवं त्रिवेणीगंज के 15 से 16 प्रभावित पंचायत के भूस्वामी एवं किसानों को नदी के प्रकोप से राहत की उम्मीद जगी थी. भट्टावारी मौजा के प्रभावित किसान रामदेव गुप्ता, बिजेंद्र यादव, प्रदीप सिंह, शिवलाल यादव, खुबलाल यादव, योगानंद साह, बैजनाथ साह, जगरनाथ साह, रंजीत गूप्ता, शिवनाथ साह आदि ने बताया कि वर्ष 2008 में कुशहा त्रासदी में सुरसर नदी का तटबंध जगह जगह क्षतिग्रस्त हो गया है. तटबंध क्षतिग्रस्त होने के बाद से नदी का पानी बाहर निकलकर निजी और उपजाऊ जमीन से होकर बह रही है. खासकर मानसून अवधि में बहाव तेज होने के कारण साल दर साल नीजि जमीन नदी में विलिन होता जा रहा है. अब जब नदी को मूल स्थान पर लाने के लिए चैनेलाइजेशन कार्य शुरू किया गया तो उनलोगों को उम्मीद जगी थी. परंतु वन विभाग की बड़ी लापरवाही ने भूस्वामियों की उम्मीद पर पानी फेर दिया है. बताया कि बीते 16 मई को सुपौल जाकर डीएम से मिले और स्थिति से अवगत कराया गया है. डीएम को लिखित आवेदन सौंपकर भट्टावारी मौजा के समीप भी चैनेलाइजेशन कार्य करवाने का अनुरोध किया गया है. बताया गया है कि उक्त स्थान पर नदी की चौड़ाई करीब साढे़ सात जरीब है. बावजूद इसके तटबंध के बाहर निजी जमीन से होकर नदी का बहाव हो रहा है. समस्या के निदान के लिए डीएम द्वारा आवेदन पत्र को तत्काल ही जल निस्सरन विभाग कार्य प्रमंडल राघोपुर के कार्यपालक अभियंता को भेज दिया गया. कहते हैं कार्यपालक अभियंता जल निःसरण विभाग कार्य प्रमंडल राघोपुर के कार्यपालक अभियंता अजय कुमार गुप्ता ने बताया कि शिकायतकर्ता जिस स्थल की बात कर रहे हैं वह स्थान प्राक्कलन में नहीं है. वहां कटाव की समस्या यदि है तो फ्लड फाइटिंग के तहत बचाव कार्य कराया जा सकता है. यह भी बताया कि चैनेलाइजेशन कार्य का यह प्रथम चरण है. द्वितीय चरण के लिए बनने वाले प्राक्कलन में उक्त स्थल को भी एड कर लिया जायेगा.
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