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जिले में दो चरणों में कराये जा रहे जमीन सर्वेक्षण का कार्य

भू-अभिलेख पोर्टल पर उपलब्ध मुख्य दस्तावेज

बिचौलियों से सावधान रहे रैयत – जिला बंदोबस्त पदाधिकारी – पहले चरण में 252 व दूसरे चरण में 290 मौजा में शुरू किया गया कार्य सुपौल. राजस्व विभाग द्वारा सर्वेक्षण कार्य जिले में दो चरणों में कार्य कराया जा रहा है. जिला बंदोबस्त पदाधिकारी विनय कुमार साह ने बताया कि जिले में प्रथम चरण में सुपौल, पिपरा, त्रिवेणीगंज, छातापुर व प्रतापगंज अंचल के 252 मौजा में सर्वेक्षण कार्य पूर्व से चल रहा है. वहीं द्वितीय चरण में किशनपुर, निर्मली, मरौना, बसंतपुर, सरायगढ़-भपटियाही, राघोपुर अंचल के 290 मौजा में जुलाई माह से सर्वेक्षण का कार्य प्रारंभ हुआ. बताया कि दूसरे चरण के सर्वेक्षण को लेकर 06 से 16 अगस्त तक सभी राजस्व ग्राम में ग्राम सभा का आयोजन कर रैयतों को सर्वे के बारे में जानकारी दी गयी है. श्री साह ने बताया कि प्रथम चरण के 252 मौजा में से 172 मौजा में खानापूरी का काम पूर्ण कर लिया गया है. जिसमें 44 मौजा का अंतिम प्रकाशन भी किया गया है. वहीं 86 मौजा में खानापूरी सर्वेक्षण का कार्य जारी है. श्री साह ने बताया कि जिले के सभी नगर परिषद एवं नगर पंचायत के कुल 14 मौजा को छोड़ कर जमीन सर्वेक्षण का कार्य शुरू है. कहा कि प्रथम चरण के लिए प्रत्येक अंचल में एक-एक शिविर कैंप बनाया गया है. सुपौल अंचल के लिए पंचायत सरकार भवन मल्हनी, पिपरा अंचल में पंचायत सरकार भवन दीनापट्टी, त्रिवेणीगंज अंचल में पंचायत सरकार भवन बैरिया, प्रतापगंज में पंचायत सरकार भवन सूर्यापुर में कैंप बनाया गया है. कहा कि भूमि सर्वेक्षण में रैयतों को बिचौलियों से सावधान रहने की जरूरत है. अगर किसी को सर्वेक्षण कार्य की कोई भी जानकारी लेनी हो तो शिविर प्रभारी से संपर्क कर ही पूर्ण जानकारी लें. कहा कि विभाग के द्वारा डीएलआरएस साइट उपलब्ध कराया गया है. जहां रैयत सर्वे से संबंधित किसी भी प्रकार की स्थिति को आसानी से देख सकते हैं. कहा कि रैयत साइट के माध्यम से अपने कागजात भी शिविर में जमा करा सकते हैं. सर्वे में यह कागजात है आवश्यक जमीन की रजिस्ट्री, जमीन से जुड़ी जमाबंदी की रसीद, खरीद- बिक्री से जुड़े सभी दस्तावेज, खतियान की नकल, जमीन का नक्शा, अगर पुश्तैनी संपत्ति है और जिसके नाम जमीन है, है, उनका निधन हो चुका हो तो उनका मृत्यु प्रमाण पत्र, जमीन को लेकर अगर कोई कोर्ट का आदेश है तो उसकी कॉपी, आवेदक का वोटर आइडी, आधार कार्ड की कॉपी मुख्य रूप से उपलब्ध कराने होंगे. भू-अभिलेख पोर्टल पर उपलब्ध मुख्य दस्तावेज केडस्ट्रल खतियान, रिविजनल खतियान, जमाबंदी पंजी प्रति, दाखिल-खारिज वाद अभिलेख, राजस्व मानचित्र, दाखिल- खारिज पंजी, बंदोबस्ती अभिलेख, चकबंदी अभिलेख, भू-अर्जन अभिलेख, सीलिंग पंजी, लगान निर्धारण अभिलेख, मापी वाद अभिलेख मौजूद हैं. कैथी भाषा पढ़ाने के लिए देना होता एक हजार रुपये लोगो को जमीन संबंधी कागजात को दुरुस्त कराने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिसका सबसे बड़ा कारण है कि ब्रिटिश शासन के दौरान वर्ष 1902- 03 में तैयार किया गया सर्वे खतियान, रिटर्न, जमींदारी रसीद, बंदोबस्त पेपर का कैथी भाषा में होना है. जिसके कारण अधिकांश लोगों को दस्तावेज रहते हुए भी समझ नहीं आ रहा है. दस्तावेज में क्या लिखा हुआ है. वही जिले में इक्के-दुक्के लोग कैथी हिंदी के जानकार हैं. वे भी काफी वृद्ध हो गये हैं. लोगों ने बताया कि कैथी भाषा से हिंदी कराने में प्रति पेज 500 से 1000 रुपये तक देना पड़ता है . सर्वे से बिचौलियों को मिला रोजगार एक ओर जहां लोग सर्वे में जमींदार अपनी कागजात को दुरुस्त करने में दिन रात एक किए हुए हैं. वही सर्वे में कागज ठीक करने के नाम पर बिचौलियों की चांदी है. परिमार्जन हो या दाखिल खारिज या किसी भी दस्तावेज का नकल निकलवाना हो सभी जगह पर बिचौलिया मौजूद रहते हैं. मानो सर्वे के दौरान बिचौलियों को एक बड़ा रोजगार मिल गया हो .

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Prabhat Khabar News Desk
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