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कुपोषित बच्चों के लिए जीवनदान है पोषण पुनर्वास केंद्र

पांच साल में एक हजार से अधिक कुपोषित बच्चों का किया गया इलाज

– सदर अस्पताल के प्रथम तल पर संचालित है पोषण पुनर्वास केंद्र – पांच साल में एक हजार से अधिक कुपोषित बच्चों का किया गया इलाज – 20 बेड की क्षमता वाले पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को मिलती है बेहतर स्वास्थ्य सेवा – बच्चों को डॉक्टरों की निगरानी में दवाओं का नियमित कराया जाता है सेवन सुपौल. सदर अस्पताल के प्रथम तल पर संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) जिला के कुपोषित बच्चों के लिए नई उम्मीद बनकर उभरा है. 27 जुलाई 2011 से नवंबर 2020 तक जिले में एनजीओ के माध्यम से पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) संचालित हुआ. इसके बाद नवंबर 2020 से यह केंद्र जिला स्वास्थ्य समिति के देख रेख में कुपोषित बच्चों के लिए जीवन-रेखा के रूप में कार्य कर रहा है. पांच वर्षो में इस केंद्र ने एक हजार से अधिक कुपोषित बच्चों का सफलतापूर्वक उपचार किया है. चिकित्सा सुविधा, पोषण प्रबंधन और माताओं को व्यवहार-आधारित परामर्श का अनूठा मिश्रण इस केंद्र को बेहद प्रभावी बनाता है. शुक्रवार को केंद्र में तीन कुपोषित बच्चे भर्ती थे, जिन्हें चिकित्सकों व प्रशिक्षित पोषण विशेषज्ञों की निगरानी में उपचार दिया जा रहा था. कुपोषित बच्चों के परिवारों को भी यहां रहने और पोषण संबंधी प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, ताकि वे घर लौटने के बाद भी बच्चों की देखभाल वैज्ञानिक तरीके से कर सकें. पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना वर्ष 2020 में कुपोषण की बढ़ती समस्या को देखते हुए की गई थी. जिला स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कोविड 19 महामारी के कठिन समय में भी यह केंद्र लगातार सक्रिय रहा और कुपोषित बच्चों को सुरक्षित माहौल में उपचार उपलब्ध कराता रहा. केंद्र में कुल 20 बेड की क्षमता है. जिससे एक समय में 20 गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को भर्ती कर विशेष देखभाल दी जा सकती है. केंद्र में प्रशिक्षित नर्सें, पोषण विशेषज्ञ, काउंसलर और चिकित्सक चौबीसों घंटे उपलब्ध रहते हैं. पोषण पुनर्वास केंद्र राज्य सरकार की महत्वपूर्ण स्वास्थ्य योजनाओं से जुड़ा हुआ है. इसमें प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, सप्लीमेंट्री न्यूट्रिशन प्रोग्राम, आंगनबाड़ी सेवाएं इन योजनाओं के माध्यम से आने वाले बच्चों व माताओं को पोषण पुनर्वास केंद्र में निरंतर स्वास्थ्य लाभ मिलता है. साथ ही केंद्र में रहने के दौरान परिवारों को भोजन, आवास और दवाइयां भी बिल्कुल मुफ्त मिलती हैं. विशेषज्ञों की निगरानी में बच्चों का किया जाता है इलाज डीपीएम सह पोषण पुनर्वास केंद्र के नोडल पदाधिकारी बालकृष्ण चौधरी ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में केंद्र में एक हजार से अधिक कुपोषित बच्चों का सफल उपचार किया गया है. पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती बच्चों को विशेष चिकित्सकीय और पोषण संबंधी देखभाल प्रदान की जाती है. कई बच्चे जिनकी हालत बेहद गंभीर रहती है, वे भी 14 दिन के उपचार के बाद सामान्य स्थिति में लौट आते हैं. कहा कि हमारा प्रयास है कि जिला में कुपोषण की समस्या पूरी तरह समाप्त हो. कुपोषण सिर्फ भोजन की कमी का मुद्दा नहीं है, बल्कि जानकारी, स्वच्छता और मातृ देखभाल से भी जुड़ा हुआ है. कहा कि पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में कुपोषित बच्चों को चिकित्सकों व प्रशिक्षित पोषण विशेषज्ञों की निगरानी में बच्चों के वजन, ऊंचाई सहित सभी पैरामीटर की जांच की जाती है. साथ ही संक्रमण, डायरिया, निमोनिया, एनीमिया आदि रोगों का भी जांच किया जाता है. बच्चों को डॉक्टरों की निगरानी में दवाओं का नियमित सेवन कराया जाता है. केंद्र में कुपोषित बच्चों को उच्च ऊर्जावान पोषण आहार दिया जाता है. इसमें उच्च कैलोरी युक्त खिचड़ी, दलिया, दाल-सब्जी, दूध आदि शामिल है. बच्चे की उम्र और वजन के हिसाब से भोजन की मात्रा दिया जाता है. केंद्र में माताओं को पोषण एवं व्यवहार प्रशिक्षण भी दिया जाता है. इसमें माताओं को सिखाया जाता है कि घर पर बच्चों का पोषण कैसे बनाए रखें. भोजन की आवृत्ति, स्वच्छता, स्तनपान तथा सप्लीमेंट्री आहार के बारे में भी प्रशिक्षण दिया जाता है. कुपोषित बच्चों को जीवन देने का काम कर रहा है पोषण पुनर्वास केंद्र सिविल सर्जन डॉ ललन कुमार ठाकुर ने कहा कि पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) कुपोषित बच्चों को जीवन देने का काम कर रहा है. हमारी कोशिश है कि सभी गंभीर कुपोषित बच्चों को समय से पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) तक पहुंचाया जाए, ताकि उनका जीवन बचाया जा सके. कहा कि आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी सेविकाओं को भी निर्देश दिया गया है कि वे गांव-गांव जाकर गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान करें और उन्हें तुरंत एनआरसी में भर्ती कराएं. कहा कि जिले के कई हिस्से बाढ़ प्रभावित और आर्थिक रूप से कमजोर हैं. इस कारण कई परिवारों में पोषण संबंधी जागरूकता और नियमित स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता चुनौती बनी रहती है. कहा कि जन्म से 5 वर्ष तक के बच्चों में कुपोषण के मामले सामने आते रहते हैं. अधिकांश मामलों में कुपोषण का कारण असंतुलित भोजन, कम स्तनपान, संक्रमण, गरीबी और स्वच्छता की कमी होती है. ऐसे में पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है. वर्षवार डाटा नवंबर 2020 से मार्च 2021- 111 अप्रैल 2021 से मार्च 2022- 237 अप्रैल 2022 से मार्च 2023 -191 अप्रैल 2023 से मार्च 2024 – 276 अप्रैल 2024 से मार्च 2025 – 229 अप्रैल 2025 से अक्टूबर 2025 – 163 नवंबर 2025 में अबतक 16

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