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दो साल बाद भी नहीं शुरू हो सका सदर अस्पताल का आईसीयू, करोड़ों खर्च बेकार

विशेषज्ञों की कमी के कारण अब तक नहीं चालू हो सका आईसीयू

– 2023 में सदर अस्पताल में 10 बेड का अत्याधुनिक आईसीयू वार्ड किया गया था तैयार – विशेषज्ञों की कमी के कारण अब तक नहीं चालू हो सका आईसीयू रौशन कुमार सिंह, सुपौल जिले की स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से वर्ष 2023 में सदर अस्पताल में 10 बेड का अत्याधुनिक आईसीयू वार्ड तैयार किया गया था. आधुनिक उपकरणों, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम और जीवनरक्षक सुविधाओं से सुसज्जित यह वार्ड मरीजों के लिए बड़ी राहत माना गया था, लेकिन अफसोस की बात है कि करीब दो साल बीत जाने के बाद भी यह आईसीयू आज तक शुरू नहीं हो पाया है. आईसीयू वार्ड के संचालन में सबसे बड़ी बाधा विशेषज्ञ चिकित्सकों, एनेस्थेटिस्ट, क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट और प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है. इसी कारण गंभीर रूप से बीमार मरीजों को दरभंगा, पटना या निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार समय पर बाहर इलाज नहीं करा पाते और कई बार उनकी जान तक चली जाती है. उपकरण बेकार पड़े, मरीजों को नहीं मिल रहा लाभ जानकार बताते हैं कि आईसीयू वार्ड की तैयारी और उपकरणों पर स्वास्थ्य विभाग ने करोड़ों रुपये खर्च किए. लेकिन लंबे समय से उपयोग न होने के कारण वेंटिलेटर और मॉनिटरिंग मशीनें खराब होने के कगार पर हैं. लोगों को लाभ भी नहीं मिल रहा है. यह न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग को दर्शाता है, बल्कि मरीजों की पीड़ा को भी और गहरा करता है. स्थानीय लोगों में नाराजगी लोगों का कहना है कि सुपौल जैसे सीमावर्ती और आपदाग्रस्त इलाके में आईसीयू सुविधा न होना गंभीर समस्या है. सड़क दुर्घटना, हृदय रोग, डेंगू, ब्रेन स्ट्रोक जैसे मामलों में मरीजों को समय पर उचित उपचार नहीं मिल पाता. यह स्थिति विभागीय लापरवाही का परिणाम मानी जा रही है. जिले में बढ़ती स्वास्थ्य चुनौतियां सुपौल जिला नेपाल सीमा से सटा हुआ है. यहां हर साल बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं, डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियां सामने आती हैं. दुर्घटनाओं और आपात स्थितियों के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में सदर अस्पताल जैसे जिला स्तरीय अस्पताल में आईसीयू वार्ड का सक्रिय न होना स्वास्थ्य व्यवस्था की सबसे बड़ी विफलता के रूप में देखा जा रहा है. वही स्थानीय लोगों का ने कहा कि आईसीयू के संचालन में विलंब सिर्फ विभागीय लापरवाही का नतीजा है. यदि समय पर चिकित्सक और तकनीशियन की नियुक्ति कर दी जाती, तो मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिल सकती थी. कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने केवल भवन और उपकरण उपलब्ध कराकर अपनी जिम्मेदारी पूरी मान ली, जबकि असल चुनौती मानव संसाधन की उपलब्धता है. कहते हैं सीएस इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ ललन कुमार ठाकुर ने कहा कि आईसीयू वार्ड पूरी तरह तैयार है और सभी उपकरण उपलब्ध हैं. विशेषज्ञ चिकित्सक और टेक्नीशियन की कमी के कारण संचालन शुरू नहीं हो सका है. कई बार प्रस्ताव भेजा गया है, जल्द ही स्टाफ बहाली होने पर आईसीयू चालू कर दिया जाएगा.

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