बच्चों को डायरिया से सुरक्षित करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग आइसीडीएस व जीविका अधिकारियों को दिया गया एकदिवसीय प्रशिक्षण ग्राम चौपाल के माध्यम से लोगों को डायरिया से बचाव के प्रति किया जायेगा जागरूक प्रतिनिधि, सुपौल 0 से 05 साल तक के बच्चों को डायरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सहयोगी संस्था पॉपुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया (पीएसआई-इंडिया) एवं केनव्यू के सहयोग से लोगों को जागरूक करते हुए स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए राज्य के तीन जिले में डायरिया से डर नहीं कार्यक्रम की शुरुआत की जायेगी. कार्यक्रम को लेकर जिला मुख्यालय स्थित शहनाई रिसॉर्ट एंड होटल में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गयी. कार्यक्रम की शुरुआत सीएस डॉ ललन कुमार ठाकुर द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया. इस दौरान पीएसआई सहित सभी प्रखंड और शहरी स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी स्वास्थ्य कर्मी व आईसीडीएस, जीविका, पंचायती राज अधिकारी एवं नगर परिषद, शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे. इस दौरान उपस्थित अधिकारियों को संबंधित क्षेत्र में विभिन्न माध्यम से बच्चों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाते हुए डायरिया से सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक जानकारी दी गयी. मौके पर जिला कार्यक्रम प्रबंधक मिनतुल्ला, डीसीएम अभिषेक कुमार, राजीव कुमार, प्रदीप कुमार सिन्हा, डीएमएनई शशि भूषण प्रसाद, जीवका से विजय कुमार, नगर परिषद से नज़मुज जफर, यूनिसेफ के अनुपमा चौधरी, डॉ मन्नु, अभिषेक कुमार आदि मौजूद थे. डायरिया से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए लोगों में जागरूकता की जरूरत : सीएस सीएस डॉ ललन कुमार ठाकुर ने कहा कि डायरिया की रोकथाम के लिए लोगों की जागरूकता और चिकित्सकीय सहायता आवश्यक है. इसके लिए सरकारी चिकित्सकों के साथ साथ निजी चिकित्सकों द्वारा भी अपने मरीजों को जागरूक करना चाहिए. डायरिया के लक्षण दिखाई देते ही लोगों द्वारा नजदीकी अस्पताल से आवश्यक चिकित्सकीय सहायता का लाभ उठाना चाहिए. सभी अस्पतालों में डायरिया ग्रसित बच्चों के उपचार के लिए सहायता उपलब्ध है. लक्षण दिखाई देने पर शुरुआत से उपचार उपलब्ध कराने से बच्चे डायरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं. कहा कि चिकित्सकीय सलाह के साथ साथ नवजात शिशुओं को आवश्यक स्तनपान कराने से बच्चे डायरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं. लोगों को जागरूक होते हुए बच्चों को डायरिया से सुरक्षित रखने का भरपूर प्रयास करना चाहिए ताकि बच्चे स्वस्थ और सुरक्षित रह सकें. उन्होंने बताया ग्राम चौपाल के माध्यम से लोगों को डायरिया से बचाव के प्रति जागरूक किया जायेगा. अभिभावक, चिकित्सक व शिक्षकों का बने एक ग्रुप : एसीएमओ एसीएमओ डॉ एएसपी सिन्हा ने डायरिया के लक्षणों की जानकारी दी. कहा कि बच्चों को डायरिया से सुरक्षित करने के लिए जिले में बच्चों के अभिभावक, चिकित्सकों और विद्यालय शिक्षकों का एक ग्रुप तैयार होना चाहिए. इसके माध्यम से जिले में डायरिया से संबंधित सभी सुविधाओं की जानकारी लोगों को आसानी से उपलब्ध हो सके जिसका स्थानीय लोगों द्वारा लाभ उठाया जा सके. डायरिया से उपचार के लिए जिंक व ओआरएस महत्वपूर्ण एनसीडीओ डॉ चंदन कुमार द्वारा डायरिया से सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक चिकित्सकीय तकनीकी जानकारी दी गयी है. बताया कि डायरिया से उपचार के लिए लोगों को तत्काल जिंक और ओआरएस घोल का उपयोग करना चाहिए. छोटे बच्चों को डायरिया होने पर चिकित्सकीय सहायता के साथ साथ स्तनपान कराना सुनिश्चित करना चाहिए. इससे बच्चे डायरिया से निश्चित समय पर सुरक्षित हो सकते हैं. सीडीपीओ ने बताया कि डायरिया ग्रसित होने की स्थिति में बच्चों को खाने पाने पर ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है. इस दौरान बच्चों को विशेष रूप से चावल, दाल, सब्जी के साथ साथ सादा पानी और पका हुआ केला का सेवन करना चाहिए. जिससे बच्चे डायरिया से बहुत जल्द सुरक्षित हो सकते हैं. राज्य के तीन जिले में चलाया जायेगा अभियान “डायरिया से डर नहीं”: पीएसआई-इंडिया के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अनिल द्विवेदी ने बताया कि डायरिया से डर नहीं कार्यक्रम का उद्देश्य समुदाय में जागरूकता बढ़ाना और व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करना है. ताकि बच्चों में दस्त प्रबंधन को प्रभावी बनाया जा सके. कार्यक्रम के तहत आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और जीविका दीदी, महिला आरोग्य समितियों के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जायेगा. उन्हें डायरिया की सही पहचान और बचाव के बारे में बताया जायेगा. ओआरएस की महत्ता समझाई जायेगी. यह कार्यक्रम बिहार के तीन जिलों दरभंगा, सुपौल और पूर्णिया में स्वास्थ्य विभाग और पीएसआई इंडिया वा केनव्यू के सहयोग से चलाया जायेगा.
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