– एड्स दिवस पर सोमवार को एसएनएस महिला कॉलेज में जागरूकता कार्यक्रम का हुआ आयोजन – समय रहते इलाज व सावधानी नहीं बरतने पर गंभीर अवस्था में पहुंच जाता है एड्स बीमारी सुपौल. विश्व एड्स दिवस पर सोमवार को जिले में स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में जागरूकता अभियान चलाया गया. इस क्रम में जिला मुख्यालय स्थित एसएनएस महिला कॉलेज में विशेष जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं, विशेषकर किशोरियों को एचआईवी/एड्स के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना, इसके प्रति फैली भ्रांतियों को दूर करना और सुरक्षित जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना था. डॉ. मेजर शशिभूषण प्रसाद ने कहा कि जिले में जागरूकता बढ़ाने के लिए लगातार कैंपेन चलाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा आज युवाओं में जागरूकता बढ़ना बहुत आवश्यक है, क्योंकि गलत जानकारी और सामाजिक संकोच की वजह से बहुत से लोग समय पर जांच नहीं करा पाते हैं. हमारी कोशिश है कि जागरूकता को हर कॉलेज, स्कूल और पंचायत स्तर तक पहुंचाया जाए. उन्होंने बताया कि जिले में एचआईवी जांच केंद्र सक्रिय रूप से कार्यरत हैं और पिछले वर्षों की तुलना में जांच कराने वालों की संख्या बढ़ी है, जो इस बात का संकेत है कि लोग अब संकोच छोड़कर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं. एआरटी नोडल पदाधिकारी डॉ. महेन्द्र कुमार ने एड्स के चिकित्सा पहलुओं पर जानकारी दी. उन्होंने एचआईवी वायरस के शरीर में फैलने की प्रक्रिया, इसके चरण, लक्षण, रोग की प्रगति तथा उपचार के बारे में समझाया. कहा कि एचआईवी संक्रमण होने के तुरंत बाद कोई लक्षण नहीं दिखते, लेकिन वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को लगातार कमजोर करता रहता है. इसलिए उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों तथा किशोरों को समय-समय पर जांच कराना चाहिए. उन्होंने एआरटी, सीडी 4 काउंट, वायरल लोड जैसी महत्वपूर्ण चिकित्सकीय अवधारणाओं पर भी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आज एआरटी की वजह से मरीज लंबी उम्र तक स्वस्थ जीवन जी रहे हैं और समय पर इलाज शुरू हो जाए तो वायरस को नियंत्रित रखा जा सकता है. कहा कि एचआईवी का इलाज जितना महत्वपूर्ण है उससे कहीं अधिक जरूरी है संक्रमण से बचाव. यही कारण है कि जागरूकता सबसे बड़ा हथियार है. जिला एड्स पर्यवेक्षक बंधुनाथ झा ने बताया कि एड्स क्या है, यह कैसे फैलता है, इससे जुड़ी गलतफहमियां क्या हैं तथा इससे बचाव के लिए समाज को किन व्यवहारों में सुधार की आवश्यकता है. रश्मि कुमारी ने कहा कि एचआईवी एक ऐसा संक्रमण है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है और समय रहते इलाज तथा सावधानी नहीं बरतने पर एड्स जैसी गंभीर अवस्था में पहुंच जाता है. काउंसलर रश्मि कुमारी ने बताया कि एचआईवी संक्रमित रक्त, असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सूई या सिरिंज के प्रयोग तथा गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान मां से बच्चे में फैल सकता है. उन्होंने कहा कि एचआईवी/एड्स छूने, साथ बैठने, भोजन साझा करने या सामान्य संपर्क से नहीं फैलता. समाज में फैली गलत धारणाएं लोगों को जांच और उपचार से दूर करती हैं. जरूरत है कि हम इन भ्रांतियों को दूर करें और वैज्ञानिक सोच अपनाएं. उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में एचआईवी जांच की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध है और कोई भी व्यक्ति गोपनीय रूप से जांच करा सकता है. मौके पर किरण मिश्रा, प्रीति कुमारी, मो. मोजाहिद आदि मौजूद थे.
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