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रेफर सेंटर बन गया है सदर अस्पताल

सुपौल : जिले की 22 लाख से अधिक की आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से करोड़ों की लागत से निर्मित सदर अस्पताल सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति एवं प्रशासनिक पदाधिकारियों की उदासीनता के कारण महज रेफर सेंटर बन कर रह गया है. बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की उम्मीद लेकर जिले के विभिन्न प्रखंडों […]

सुपौल : जिले की 22 लाख से अधिक की आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से करोड़ों की लागत से निर्मित सदर अस्पताल सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति एवं प्रशासनिक पदाधिकारियों की उदासीनता के कारण महज रेफर सेंटर बन कर रह गया है. बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की उम्मीद लेकर जिले के विभिन्न प्रखंडों से रेफर हो कर आने वाले मरीजों को यहां से भी रेफर ही किया जाता है.स्थिति यह है कि जिन्हें इस अस्पताल में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवा की जानकारी है,

वे यहां रूकने की बजाय सीधे डीएमसीएच अथवा धरान का रुख करते हैं.सबसे विकट स्थिति तो ऑपरेशन थियेटर की है.यहां सिजेरियन नाम मात्र का होता है.विशेष परिस्थिति में यदि चिकित्सकों को सिजेरियन ऑपरेशन करना आवश्यक हो तो उन्हें असिस्ट करने के लिए बाहर के लोगों को बुलाना पड़ता है.रविवार की रात प्रभात खबर द्वारा प्रसव कक्ष एवं ऑपरेशन थियेटर का जायजा लिया गया.इस दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये.

हालांकि इस व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अधिकारी सरकार पर दोष मढ़ कर अपना पल्ला झाड़ते नजर आये. संध्या 06:34 बजे- पिपरा प्रखंड के बसहा की कुलकुल देवी अपनी पुत्री अन्नु कुमारी को प्रसव हेतु सदर अस्पताल ले कर पहुंची.सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष में ड्यूटी पर तैनात एनएनएम द्वारा जांच पड़ताल के बाद उसे तीन-चार घंटे बाद प्रसव होने की बात बतायी गयी.संध्या 8:10 बजे- प्रभात खबर की टीम को देखते ही कुलकुल देवी फूट-फूट कर रोने लगी.

उसने बताया कि शाम से उसकी बेटी दर्द से कराह रही है, जिसे देखने वाला कोई नहीं है.इस बात की जानकारी संवाददाता द्वारा अस्पताल के उपाधीक्षक डा एनके चौधरी को दी गयी.डा चौधरी ने मुख्यालय से बाहर रहने की जानकारी देते हुए डा रागिनी भूषण का नंबर देकर उनसे संपर्क करने को कहा.जब डा रागिनी भूषण से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि हमने पता कर लिया है.कोई चिंता की बात नहीं है.आप पत्रकार हैं तो आपके कहने पर हम आ जाते हैं.

लेकिन इससे कोई फायदा नहीं होगा. रात 09:28 बजे- अचानक परिजनों को बताया गया कि मरीज की स्थिति काफी नाजुक है.इसे तुरंत बाहर ले जाना होगा.काफी दबाव के बाद डा रागिनी भूषण ऑपरेशन के लिए तैयार हुई. रात 09:46 बजे- डा रागिनी भूषण ऑपरेशन थियेटर पहुंची.उन्होंने बताया कि यदि 10 से 15 मिनट के भीतर ऑपरेशन नहीं हुआ तो बच्चा को बचाना मुश्किल होगा.उसके बाद ओटी असिस्टेंट की खोज होने लगी.बताया गया कि सदर अस्पताल में कार्यरत एक मात्र ओटी असिस्टेंट गंगा कामत जो खुद बीमार है, उन्हें सूचना दी गयी है. रात09:58 बजे- गंगा कामत एक लोटा में केरोसिन लेकर पहुंचे और भीतर से एक पुराना स्टोव में डालने लगे.पूछने पर बताया कि औजार को स्टरलाइज किया जायेगा.

तेल डालने के बाद वे माचिस की खोज में महावीर चौक चले गये.हालांकि माचिस लेकर लौटने पर उन्होंने असिस्ट कर पाने में खुद को असमर्थ बताया. रात 10:15 बजे- प्रभात खबर द्वारा इस मामले को लेकर डीएस से संपर्क किया गया तो उनका मोबाइल स्वीच ऑफ था.फिर सिविल सर्जन के मोबाइल पर संपर्क किया गया.

उन्होंने देखने की बात कही.इसके बाद फिर उनसे संपर्क साधा गया.काफी देर इंतजार करने के बावजूद जब कोई इंतजाम नहीं हो पाया तो संवाददाता द्वारा शहर की एक प्रतिष्ठित लेडी डॉक्टर से अनुरोध किया गया.उसके बाद उक्त लेडी डॉक्टर ने अपने निजी ओटी असिस्टेंट व अन्य कर्मी को सदर अस्पताल भेजा.जिसके बाद ऑपरेशन हो पाया.हालांकि विलंब की वजह से नवजात की हालत चिंता जनक रहने के कारण उसे पहले सहरसा और बाद में पीएमसीएच ले जाना पड़ा.बहरहाल उसका उपचार पीएमसीएच में चल रहा है. कर्मियों का घोर अभाव है.किसी प्रकार से अस्पताल चला रहे हैं.इस बाबत कई बार सरकार को रिपोर्ट भी किया गया है.लेकिन काफी लंबे समय से बहाली नहीं होने के कारण यह समस्या बनी हुई है. डा रामेश्वर साफी, सिविल सर्जन, सुपौल

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