सुपौल : चुनावी समर में कोसी क्षेत्र के वोटरों में विकासात्मक कार्य कलापों की मुद्दा उठना लाजिमी है. विकास चाहे बिजली, सड़क व पानी का हो या शिक्षा या फिर स्वास्थ्य. कोसी इलाके के मतदाता इस विषय को लेकर काफी चिंतित हैं कि आजकल के जनप्रतिनिधि विकास के मामले पर सीमित नजरिया रख रहे हैं.
इस कारण किसी भी योजना का असर संपूर्ण क्षेत्र पर नहीं देखा जा रहा है. यहां तक कि लोगों को विभिन्न योजनाओं की जानकारी स्थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा चुनाव के समय मतदाताओं को दी जाती है, ताकि मतदाता के वोट को अपनी तरफ कर सके. वर्तमान परिवेश में राजनीति में स्वार्थ की भावना पनपने से किसी भी क्षेत्र का अपेक्षित विकास धरातल पर नहीं दिख रहा है.
सरकार बनने के बाद कई तरह की योजनाएं बनायी जाती रही हैं, लेकिन योजना बनाये जाने के उपरांत कुछ सीमित क्षेत्र तक ही सिमट कर रह जाता है. या यू कहें कि चंद स्वार्थी लोगों द्वारा योजना की दशा व दिशा पर कागजी खाना पूर्ति कर दी जाती है. इस कारण चुनाव के समय मतदाताओं में ऊहापोह की स्थिति बनी रहती है. जिले में पांच नवंबर को वोटिंग होगी.
मतदान को लेकर उलटी गिनती प्रारंभ है. त्योहार के मौसम होने के बावजूद भी जनप्रतिनिधि रात-दिन मतदाताओं से रू ब रू होते रहे हैं. उम्मीदवार द्वारा भ्रमण के दौरान मतदाताओं को एक जुट होकर उनके पक्ष में वोट डालने की बात कही जा रही है. प्रत्याशी द्वारा अपने चुनाव चिह्न सहित विकास के स्लोगन की संगीत मय प्रस्तुति के साथ प्रचार वाहनों को गांव- गांव भ्रमण कराया जा रहा है. वहीं मत दान का समय समीप आने से मतदाता भी उत्साहित है.
खास कर वे मतदाता जो पहली बार अपने वोट डालेंगे. ऐसे युवा मतदाताआें की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है. जन प्रतिनिधियों की भी इस वर्ग पर विशेष नजर दिखाई पड़ रही है. सरकार गठन को लेकर कोसी इलाके का जन प्रतिनिधि की भूमिका क्या होनी चाहिए. इसी के मद्देनजर प्रभात खबर द्वारा ली गयी राय शुमारी में मतदाताओं ने अपना विचार इस प्रकार रखा. मो सलीम सावरी कहते हैं कि लोकतंत्र में जनादेश की महत्वपूर्ण भूमिका है. जन सरोकार से मतलब रखने वाले ही क्षेत्र वासियों के लिए अच्छा जन प्रतिनिधि होगा. मो मसीर ने कहा कि कोसी का इलाका वर्षों से उपेक्षित रहा है.
इस चुनाव में मतदाताओं को इलाके के समावेशी विकास की बात करने वाले जन प्रतिनिधि के बारे में ही सोचना चाहिए. मो जाहिर हुसैन का मानना है कि चुनाव के समय जनप्रतिनिधियों को मतदाता की याद सताती है. ठीक उसी प्रकार उन्हें मतदाताओं के विकास के मुद्दे पर निरंतर पहल करनी चाहिए. चंद्र किशोर यादव ने कहा कि जन प्रतिनिधि में सदैव परोपकार की भावना जागृत रहनी चाहिए. ताकि जनता में विश्वास बना रहे.
आज के दौर में अपेक्षित विकास को तरजीह देने वाले जनप्रतिनिधि ही क्षेत्र वासियों के लिए अच्छा होगा. धीरेंद्र नारायण ठाकुर ने कहा कि जन प्रतिनिधियों को रूढ़िवादी परंपरा को छोड़ क्षेत्र में समावेशी विकास की योजनाओं को अपनाना चाहिए, ताकि समाज में पनप रहे वैमनस्यता को दूर की जा सके. रवि ठाकुर ने कहा कि आज राजनीति में जातिवाद, सांप्रदायिकता में जिस तरीके से बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. यह विकास का नहीं अपितु विनाश का सूचक है. साथ ही लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.
राजेश कुमार का मानना है कि महापुरुषों द्वारा बनायी गयी लोकतांत्रिक परंपरा यहां की सभ्यता व संस्कृति को प्रदर्शित कर रही है. ऐसे में जन प्रतिनिधियों द्वारा भेदभाव की राजनीति किया जाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. मो मतीन ने बताया कि इस क्षेत्र के जन प्रतिनिधि ऐसा हो जो स्थानीय विकास को तरजीह दे. साथ ही प्राथमिकता के आधार पर कार्यों पर पहल करे. जन प्रतिनिधियों को सीमित क्षेत्र का विकास करने से मतदाता अपने आपको उपेक्षित महसूस करते हैं.