फोटो-04कैप्सन- खराब पड़ा फिल्टर युक्त चापाकल प्रतिनिधि, त्रिवेणीगंजसरकार द्वारा अनुमंडल क्षेत्र में शुद्ध पेयजल की पुख्ता व्यवस्था नहीं किये जाने की वजह से स्थानीय नागरिकों के समक्ष प्रदूषित जल पीने की विवशता बनी हुई है. गौरतलब है कि इलाके में मौजूद पानी में आयरन की मात्रा अत्यधिक है,जिसकी वजह से आम लोगों को अक्सर पेट के रोग का शिकार बनना पड़ता है. मजबूरी वश संभ्रांत व उच्च वर्गीय लोगों ने बोतल बंद व केन में भरे मिनरल वाटर का सहारा लेना प्रारंभ कर दिया है. लेकिन आम व गरीब लोगों के लिए यह संभव नहीं है. लिहाजा उन्हें जल के प्राकृतिक स्रोत पर ही निर्भर रहना उनकी विवशता बनी हुई है. विभागीय स्तर पर पूर्व में कई जगहों पर चापाकल के पानी को आयरन मुक्त करने केलिए फिल्टर भी लगाये गये थे. लेकिन फिल्टरयुक्त चापाकल के कुछ ही समय बाद खराब पड़ जाने के कारण यह योजना भी फिसड्डी साबित हुई. सबसे अहम बात यह है कि प्रखंड स्तर पर विभाग द्वारा जल की शुद्धता के जांच के लिए कोई लैब या तकनीशियन की व्यवस्था नहीं की गयी है. ताकि लोग अपने घरों में मौजूद चापाकल व कुएं के पानी की समुचित जांच करा सकें. पीएचइडी के प्रखंड समन्वयक श्यामा नंद प्रसाद ने बताया कि जिला स्तर पर ही विभागीय लैब हैं. जहां तकनीशियन द्वारा जल की जांच की जाती है. लोग बोतल में अपने चापाकल की पानी लेकर जिला में उपलब्ध जल जांच केंद्र में अपने जल की जांच करा सकते हैं. लेकिन सवाल है कि जिला मुख्यालय जाकर कितने लोग अपने पानी की जांच करा पायेंगे. ग्रामीणों ने अनुमंडल मुख्यालय में पेयजल के जांच हेतु लैब स्थापित करने की मांग की है. ताकि स्थानीय तौर पर ही उन्हें यह सुविधा उपलब्ध हो सके.
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जल प्रदूषन की जांच हेतु लैब स्थापित करने की मांग
फोटो-04कैप्सन- खराब पड़ा फिल्टर युक्त चापाकल प्रतिनिधि, त्रिवेणीगंजसरकार द्वारा अनुमंडल क्षेत्र में शुद्ध पेयजल की पुख्ता व्यवस्था नहीं किये जाने की वजह से स्थानीय नागरिकों के समक्ष प्रदूषित जल पीने की विवशता बनी हुई है. गौरतलब है कि इलाके में मौजूद पानी में आयरन की मात्रा अत्यधिक है,जिसकी वजह से आम लोगों को अक्सर पेट […]
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